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फिर चलेगा भारत का ‘जी फैक्टर’?

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नई दिल्ली , सोमवार, 16 मई 2011 (17:46 IST)
क्या सुनील गावस्कर, सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल की तरह गौतम गंभीर भी कैरेबियाई सरजमीं पर भारत के लिए भाग्यशाली साबित होंगे। भारतीय टीम वेस्टइंडीज में जब भी द्विपक्षीय श्रृंखला खेलने के लितो ‘ग’ शब्द या यूं कहें कि ‘जी फैक्टर’ ने उसके पक्ष में काम किया।

भारत ने नियमित कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सहित प्रमुख खिलाड़ियों को विश्राम दिया है। ऐसे में गंभीर को एकदिवसीय टीम की कमान सौंपी गई है जिनके नाम में ‘ग’ या अंग्रेजी का ‘जी’ शब्द दो बार आता है। असल में इससे पहले कैरेबियाई दौरों में इस शब्द का खिलाड़ी, कप्तान या कोच भारत के लिए भाग्यशाली रहा।

कैरेबियाई सरजमीं पर भारत ने पहली टेस्ट श्रृंखला 1971 में जीती थी। तब भारतीय टीम में सुनील गावस्कर थे जिन्होंने उसी दौरे में टेस्ट मैचों में पदार्पण किया था। गावस्कर ने उस श्रृंखला के चार मैच में रिकॉर्ड 774 रन बनाए थे और वह भारत की इस ऐतिहासिक जीत के नायक बने थे।

इसके बाद भारत ने जब वेस्टइंडीज से पहली बार एकदिवसीय श्रृंखला जीती थी तो टीम की कमान सौरव गांगुली के हाथों में थी। यह 2002 की श्रृंखला थी जिसमें भारत ने 2-1 से जीत दर्ज की थी। गांगुली की ही कप्तानी में भारत ने वेस्टइंडीज में टेस्ट मैचों में लगभग 16 साल से चले आ रहे जीत के सूखे को खत्म किया था। (भाषा)

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