कल भारी न पड़े आज पर...

Webdunia
- नयनतारा गोयल

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हिंदी फिल्मों में लव ट्रायंगल काफी सक्‍सेसफुल होते हैं। पुरानी फिल्मों में दिखाए जाने वाले लव ट्रायंगल में होता ये था कि लास्‍ट में एक को मरना ही होता था लेकिन इन दिनों बनने वाली फिल्मों में परिवर्तन ये हुआ है कि चौथा एंगल भी मिल जाता है। ये शायद समाज में समय के साथ हुए परिवर्तन से आया होगा।

आखिरकार को कला समाज का आईना जो होती है। पहले कभी लड़की के अतीत को छुपाकर रखा जाता था, उसे हिदायत दी जाती थी कि किसी भी सूरत में अपने पति या प्रेमी के सामने अपने अतीत को न खोले, लेकिन अब दौर बदला है और आपसी विश्वास और समझदारी से रिश्तों की उलझन सुलझाई जाने लगी है।

दरअसल, अब तक ये होता आया है कि पुरुष स्त्री के अतीत के प्रति सहिष्णु नहीं हो पाता था इसलिए स्त्री को अकसर ये नसीहत दी जाती थी कि वह अपना अतीत छुपाकर रखे। अब पुरुष थोड़ा बदला है और अब वह स्त्री के प्रति सहानुभूति रखने लगा है इसलिए उसके अतीत के प्रति भी उसका नजरिया बदला है।

स्त्री जिस तरह पुरुष के वर्तमान और भविष्य को चाहती है, अब पुरुष भी स्त्री के अतीत के प्रति लचीलापन दिखाने लगे हैं। वे ये मानने लगे हैं कि जिस तरह की चीजें उनके साथ घटती हैं, उसी तरह उनके साथी के साथ भी घट सकती है। यदि हमारा अतीत है तो हमारे साथी का अतीत भी हो सकता है। फिर कुछ सामाजिक पूर्वग्रह भी हुआ करते हैं।

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बुजुर्ग महिलाओं से युवा लड़कियों को ये नसीहत हमेशा मिलती है कि अपने पति या होने वाले पति से अपना अतीत छुपाकर रखें, क्योंकि पुरुष कभी भी महिलाओं के अतीत के प्रति न तो संवेदनशील होता है और न ही सहिष्णु। इन पिछले कुछ सालों से जबकि महिलाओं ने घर से बाहर निकलना, बाहर जाकर पढ़ना और काम करना शुरू किया है, परिदृश्य बदला है और साथ ही बदला है रिश्तों को देखने का नजरिया।

अब पुरुष महिलाओं के अतीत के प्रति मानवीय और सहिष्णु होने लगे हैं। ऐसे में बजाय अपना अतीत छुपाने के उसे बताएँ ताकि किसी भी तरह की असाधारण स्थिति में रिश्ता टूटने से बचाया जा सके। इस तरह के रिश्तों में आपसी समझ और परस्पर विश्वास बहुत काम आता है।

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बिना वजह तीखी प्रतिक्रिया दी जाती है तो दूसरा पक्ष बेकार की कटुता अपने अंदर पाले रखता है। ऐसी स्थिति में बहुत शांति से चीजों को गुजर जाने देने की जरूरत और मध्यम मार्ग ढूँढने की कोशिश की जानी चाहिए, लेकिन इसके साथ लड़की को बहुत स्पष्ट होने की जरूरत है कि उसे क्या स्वीकार है और क्या नहीं। जब रिश्ते ऐसी मुश्किल में हों तो दोनों पक्षों की समझदारी से ही वर्तमान के रिश्ते को व्यवस्थित किया जा सकता है, बनाए रखा जा सकता है।

ये असर है खुलेपन का

वैसे भी आजकल महिला और पुरुषों के संबंधों में पहले से ज्यादा खुलापन आया है। अब ये दोनों, खासतौर से पुरुष अपनी महिला मित्र या पत्नी के कल को लेकर पहले से ज्यादा सहिष्णु हो गए हैं। उन्हें इस बात का अहसास हो गया है कि उन्हीं की तरह उनकी बीवी या गर्लफ्रेंड का भी कोई अतीत हो सकता है और जिस तरह वे उनके अतीत को स्वीकार कर लेती हैं, ठीक उसी तरह पुरुष भी अब इस मामले में पहले से ज्यादा खुली सोच वाले हो गए हैं।

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