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प्रेम में बराबरी की समझ जरूरी

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मानसी

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हेलो दोस्तो! कई बार आप दिल के हाथों इतने मजबूर हो जाते हैं कि आपको लगता है कि आप उसके आगे सभी तर्क से हार जाएँगे। आपकी सारी समझदारी, सारा ज्ञान केवल दूसरों को शिक्षा देने के लिए होता है। यह जानते हुए भी कि जो आपका दिल चाहता है वह उचित नहीं है फिर भी आप उसी ओर बढ़ते जाते हैं। उस चाहत की सारी कमियाँ, त्रुटियाँ और नतीजा जानते हुए भी आप खुद को संभाल नहीं पाते हैं। बस आपका जी यही चाहता है कि कोई और इस बारे में सलाह दे और वह भी आपके मन माफिक।

ऐसी ही एक सलाह माँग रहे हैं दीपक (बदला हुआ नाम)। दीपक एक लड़की को पढ़ाते हैं और उन्हें लगता है कि वह उससे प्यार करने लगे हैं। पर, अपनी भूमिका और उम्र के अंतर के कारण उन्हें ऐसी सोच पर ग्लानि भी होती है। इसे सही नहीं मानते हुए भी उन्हें लगता है अब उनका जीवन उस लड़की के बिना बेकार व अधूरा है।

दीपक जी, आपको इस रिश्ते का हश्र भी पता है। फिर भी आप अपनी नैतिकता से पीछा छुड़ाने के लिए इसके फैसले का ठिकरा किसी और पर फोड़ना चाहते हैं। आपको एक जिम्मेदार स्थान पर बिठाकर उस लड़की के परिवार वाले निश्चिंत होंगे पर आप अपनी मूल भूमिका भूलकर प्यार का खेल खेलने लगे। यह आपको शोभा नहीं देता हैं। किसी की उम्र चाहे जो भी हो वह जिस भी भूमिका में होता है, वह उसे निभानी ही चाहिए।

सच कहा जाए तो प्रेम करके भी आप उसे कितना निभा पाएँगे यह कहना कठिन है। जो व्यक्ति एक भूमिका से इतनी आसानी से भटक जाए वह दूसरी भूमिका से भी कोई मुसीबत आते ही भटक जाएगा। एक नौजवान बच्ची जब लगन और मेहनत ईमानदारी से अपना काम पूरा करती है। उसकी शख्सियत में एक प्रकार की सच्चाई व मासूमियत झलकती है तो उसके अभिभावक या शिक्षक को उस पर बहुत ही प्यार व स्नेह आता है।

पर, उसे आकर्षण का रूप देकर इसका भार उस मासूम पर नहीं डालना चाहिए। दीपक जी, आकर्षण प्रेम नहीं होता है। प्रेम में दोनों की इतनी समझदारी होनी चाहिए कि वे बराबरी के स्तर पर संवाद स्थापित कर सकें। और, आप दोनों में इसकी कोई गुंजाइश होती नहीं दिखती है। बेहतर यही है कि अपनी मर्यादा पहचानें।

ऐसे रिश्ते की चाह केवल संग-साथ के कारण होता है क्योंकि इसका आधार कोई विचार-विमर्श कर, दुख-सुख बाँटने की वजह से नहीं बना है। आप यकीन मानें मगर आपको अभी कोई ऐसा मौका मिले जो आपके कॅरिअर के लिए बेहतर हो और आप बेहतर स्थिति में कहीं और रहने लगें तो आप देखते ही देखते इस प्रेम को भूल जाएँगे। इतना ही नहीं, नए माहौल में आपकी मित्रता भी किसी बराबर वालों से हो जाएगी। इसीलिए इस आकर्षण को जीवन का सत्य नहीं मानिए।

किसी कस्बे जैसी छोटी जगह में रूढ़िवादी लोगों के बीच जहाँ किसी लड़का या लड़की को घुलमिलकर दोस्ताना माहौल में बातचीत करने की छूट नहीं होती है, ऐसे आकर्षण बड़ी आसानी से पनप जाते हैं। इसे प्रेम की भूल समझना अपने और दूसरे के पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाली बात है। आपका कर्तव्य बनता है कि उस नासमझ बच्ची की रक्षा करें और खुद को एक अच्छा शिक्षक व जिम्मेदार नागरिक साबित करें। यदि आप उसे सचमुच प्यार करते हैं, उसके हितैषी हैं तो उसके पढ़-लिखकर कामयाब होने की प्रतीक्षा करें।

उसको जीवन में आगे बढ़ने में सहयोग करें। उसे सफल व आत्मनिर्भर बनने में मदद करें। आपका प्रेम, कसौटी पर तभी खरा उतरेगा जब उसके भविष्य को बिगाड़ने के बजाय उसे संवारने में आपका हाथ होगा। किसी को अपने लिए केवल हासिल कर लेने भर से ही प्रेम की दास्तान पूरी नहीं होती है। दीपक जी अपने शिक्षक मन को झकझोर कर जगाएँ। एक नादान, मासूम लड़की को बदनाम व बर्बाद करने के बजाय उसे जीवन में कुछ कर दिखाने में मदद करें।

आप एक अच्छे इंसान हैं इसलिए आपकी चेतना आपको ऐसा-वैसा कुछ करने से रोक रही है। अपने मन पर कोई भार न डालें और सही दिशा में ही चलें। यदि आपको अपने-आप पर भरोसा न हो, अपने मन पर संयम रखना मुश्किल है तो उसे पढ़ाना छोड़ दें। इस रिश्ते में अपनी बात उस बच्ची के सामने रखना या आगे बढ़ाना अनैतिक व गलत होगा। सोच-समझकर मुसीबत को दावत देना अकलमंदी नहीं है।

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