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मस्ती के माहौल में जरा संभल के

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हेलो दोस्तो! त्योहारों का मौसम अगर सबसे ज्यादा किसी को भा रहा है तो वह नौजवानों को। इसलिए नहीं कि वे बड़े धार्मिक हो चले हैं बल्कि इसलिए कि यही वह मौका है जब उन्हें आजादी से आपस में एक-दूसरे से मिलने का बहाना मिल जाता है। कभी बाजार के बहाने तो कभी मंदिर जाने के बहाने। अभिभावक भी त्योहारों के नाम पर थोड़ी उदारता दिखाते हैं। रामलीला देखना हो या गरबा डांस करने या दिवाली मेला देखने जाना हो, उन्हें इसकी इजाजत दोस्तों के साथ मिल ही जाती है। इस अवसर की तलाश में सबसे ज्यादा रहती हैं लड़कियाँ क्योंकि उनके सज-धजकर बाहर जाने पर कोई आपत्ति नहीं करता है।

जिन युवक-युवतियों की जोड़ियाँ बन चुकी हैं, उन्हें भी साथ-साथ समय बिताने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता है। 'मैं तुमसे मिलने आई मंदिर जाने के बहाने' का फार्मूला आज भी उन्हें सबसे ज्यादा सूट करता है। भगवान का नाम लेते ही उनकी सारी मुश्किलें छूमंतर हो जाती हैं। जो युवतियाँ अभी तक अकेली हैं, जिन्हें अभी तक कोई साथी नहीं मिला है, उनके लिए ये त्योहार साथी खोजने का बहुत बड़ा स्रोत है। कमसीन लड़कियाँ अपना बेहतरीन रंग-रूप लेकर सहेलियों के साथ जगह-जगह डोलती हैं कि कोई मुंडा उन्हें भा जाए ताकि घर वालों की पसंद की शादी से उन्हें छुटकारा मिले और जीवनसाथी की तलाश में कुछ उनका भी हाथ हो।

त्योहारों के रौनक भरे माहौल में बांके सजीले नौजवान भी स्मार्ट लड़कियों को ताड़ते रहते हैं। उनका इरादा यूँ तो तात्कालिक दोस्ती का होता है पर लड़कियाँ उनमें भी जीवनसाथी वाली गंभीरता का गुमान कर बैठती हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। लड़कियों को चाहिए कि इस मौके पर जरा संभलकर दिल देने का मन बनाएँ। कदमों में अपना दिल भेंटकर भविष्य की हसीन कल्पनाओं में खोने के बजाय थोड़ी व्यावहारिक हो जाएँ तो उनके लिए बेहतर है।

नादान बालाएँ किसी भी अनजान छैल-छबिले से बहुत जल्दी प्रभावित होकर अपने ख्वाबा-ख्यालों में उसे वरमाला पहनाने लगती हैं। पर अक्सर उनका यह हसीन सपना सपना ही रह जाता है। इसलिए जल्दबाजी करने के बजाय कुछ सतर्कता व सावधानियाँ बरतें।

अपने बेसब्र दिल को संभालते और किसी भी युवक से बातें करते हुए उसकी छोटी से छोटी बातों को ध्यान से परखें। यह पता करना जरूरी है कि वह बातचीत करने में कितना मोहक है। किसी बोर व्यक्ति से शादी करना बड़ा ही बेवकूफी भरा फैसला होगा। एक नीरस इंसान के साथ जीवन बिताना सचमुच एक सजा ही होती है। अगर वह बातचीत में चतुर है तो उसका भविष्य भी बहुत हद तक उज्ज्वल होगा पर इतना भी मसखरा न हो कि लोग उसे देखते ही खी-खीकर हँसने लगें।

यदि वह आपमें रूचि दिखा रहा है तो हमेशा इसका संकेत दूसरों को भी मिले। ऐसा न हो कि अन्य लड़कियों के सामने वह आपके साथ अजनबी सा व्यवहार करे। यदि वह औरों के सामने भी आपके प्रति अपनी पसंद का इजहार करता है तो इसका मतलब है कि वह आपको लेकर कुछ हद तक गंभीर है। आप ऐसे लड़के पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। अगर वह लड़का आपके लिबास पर बहुत ज्यादा आलोचना भरा नजरिया रखता हो तो उससे दूर ही रहना ठीक है। किसी भी पहलू पर सीधी व तीखी प्रतिक्रिया करने वाले भी चैन से जीना मुहाल कर देते हैं।

लड़कियाँ साफ्ट बोलने वालों के बजाय बेरुखी से बात करने वाले लड़के से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाती हैं। उसमें उन्हें उनका पौरुष दिखता है और दबंग अंदाज पर वह पीछे-पीछे भागने लगती हैं पर शादी के बाद यही दबंगता उन्हें बहुत भारी पड़ती है। तब एक ही रोना होता है कि मेरा जीवनसाथी मेरी केयर नहीं करता, मीठी बातें नहीं करता। इसलिए बेहतर है कि अपने साथी में थोड़ी संवेदनशीलता, भावुकता एवं मिठास भी देखें।

केयर करने वाला, मीठा बोलने वाला मनुष्य कायर नहीं होता बल्कि अपने साथी की जरूरतों को समझता और उसका ख्याल रखता है। अपनापन दिखाते हुए भी लड़कियों को थोड़ी दूरी रखनी चाहिए। कोई भी वादा जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। अपने पसंद के लड़के के बारे में जानकारी इकठ्ठी करनी चाहिए। अपने दोस्तों से मिलाने पर उसका व्यवहार कैसा है यह भी देखना चाहिए।

कई बार कुछ लड़के अपनी गरीबी को बहुत ही महिमामंडित करके पेश करते हैं। ऐसे लड़कों को बहुत समय लगाकर जानने-समझने की जरूरत है। भावुकता, दया, त्याग का नशा बहुत दिनों तक नहीं रहता। अस्तव्यस्त, गंदा रहना भी लड़कों की एक अदा है। बहुत सी लड़कियाँ बेतरतीब दाढ़ी और लंबे बालों को देखकर एक इंटेलेक्यचुअल पति की कल्पना में खो जाती हैं पर यह भ्रम जब टूटता है तो बहुत देर हो चुकी होती है और ऐसे व्यक्ति के साथ जीवन बेहद मनहूस हो चुका होता है।

बुद्धिजीवी पति की चाह में ऐसे हुलिए के पीछे भागती बालाओं के हाथ कुछ नहीं लगता है। ऐसे पति के लिए पहले आप उनसे खूब बहस करें और उनके विचारों को यदि अपने विचारों के करीब पाएँ तभी आगे बढ़ें बशर्ते कि जनाब आपको बोलने दें। बेहतर यही है कि जो आपकी बातों को ध्यान से न सुने उसका पत्ता काट दें।

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