ऐसा हो बच्चे का भोजन

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सभी बच्चे खाने से नहीं कतराते, प्रत्येक भोजन जो उन्हें दिया जाता है। उन पर हुक्म न चलाते हुए कि यह मत खाओ, वह मत खाओ, उन्हें भोजन की सही उपयोगिता की जानकारी देना चाहिए इसके अलावा अन्य कुछ बातें और ध्यान में रखें-

* घर में रोजाना बनने वाले भोजन में कम मसाले और कम घी-तेल डालें। बच्चे को हरी पत्तेदार सब्जियाँ खिलाएँ, यह सर्वोत्तम आहार है।

* इडली, डोसा, पोंगल, खिचड़ी, मिसी रोटी आदि में घी-तेल शकर डालकर उसके साथ हरी सब्जी भी बच्चे को खिलाएँ। गाय-भैंस का दूध व दूध के अन्य उत्पाद तथा फल, अंडा, मछली या माँस आदि भी बच्चे को नियमित रूप से दिए जाने चाहिए।

* बच्चा जब चार महीने का हो जाए तो आप उसे सूजी, गेहूँ, पिसा हुआ चावल आदि में घी-तेल डालकर पकाकर खिला सकते हैं। मौसमी फल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में देते रहें।

* बच्चा जब 6-9 महीने के बीच का हो, तब उसे घर में बनी दाल के साथ चावल, रोटी मसलकर, खिचड़ी, दही, मसली हुई सब्जी आदि खिलाना चाहिए। नियमित स्तनपान के साथ दिनभर में 4-5 बार उन्हें यह भोजन दिया जा सकता है।

* बच्चा नौ महीने के बाद भोजन चबाने लगता है। ऐसे में उसे मसले या कुचले हुए भोजन की जगह छोटे-छोटे कौर खिलाना सिखाना चाहिए।

* बच्चे के भोजन को बनाते समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। आपके हाथ और भोजन के बर्तन साफ व धुले होने चाहिए। बच्चे को हमेशा ताजा और जहाँ तक हो सके, गरम भोजन ही दें।

* बच्चे को डायरिया, श्वसन रोग जैसी शिकायत होने पर डॉक्टर के कुछ न कहने तक भोजन जारी रखें। बच्चा किसी बीमारी के बाद उठा हो तो उसे सामान्य से ज्यादा आहार दें, जिससे उसका वजन फिर से सामान्य हो जाए।

* अकसर माता-पिता बच्चे को मोटा बनाने के लिए जबरदस्ती खिलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह ठीक नहीं। बच्चे को जब भूख लगे, तभी खिलाएँ।

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