बच्चे के मुँह में जब हो अँगूठा

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बच्चों का अँगूठा चूसना एक सामान्य क्रिया है, लेकिन छह माह की उम्र के बाद भी बच्चा अँगूठा चूसना नहीं छोड़ता है, तो यह इस बात का सूचक है कि बच्चे के माँ-बाप बच्चे के प्रति लपरवाह हैं।

यह आदत बच्चों में तब पड़ती है, जब वह अपने को अकेला, असहाय, असुरक्षित महसूस करता है। अधिकतर माता-पिता इस आदत को बहुत सामान्य तरीके से लेते हैं। क्या आप जानते हैं आपके बच्चे की अँगूठा चूसने की आदत के क्या नुकसान है?

अँगूठा चूसने के नुकसान :

* हमेशा तो बच्चे को साफ-सुथरा रखना संभव नहीं होता, ऐसे में यदि वे अपना अँगूठा या हाथ मुँह में लेते हैं, तो हाथ के साथ गंदगी, धूल व कीटाणु भी बच्चे के मुँह में चले जाते हैं।

* अँगूठा चूसने वाले बच्चे की भूख मर जाती है, वे दूध की या भोजन की माँग नहीं करते, फलस्वरूप उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

* अँगूठा चूसने का प्रभाव बच्चे के मस्तिष्क पर भी पड़ता है, वे अँगूठा चूसने में मस्त रहते हैं और मंद बुद्धि की ओर अग्रसर होते हैं।

* अँगूठा चूसने से बच्चे के दा ँत बाहर की ओर निकल आते हैं, होठ मोटे होकर लटक जाते हैं, मुँह खुला रखने की आदत पड़ जाती है।

* एक ही हाथ का अँगूठा चूसने के कारण वह अँगूठा पतला हो जाता है, इसका असर बच्चे के शिक्षण पर भी पड़ सकता है, यदि वह उसी हाथ से लिखना शुरू करे ं।

* अँगूठा चूसने वाले बच्चे की जीभ बाहर की ओर निकली रहती है, इससे वे बोलने में तुतलाते हैं।

* ऐसे बच्चे आलसी व कमजोर हो जाते हैं, बड़े होते-होते हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं।

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