बच्चों के साथ आपका विकास

Webdunia
- आजिंक्य चौधर ी
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, यह कथन बहुत बार दोहराया जाता है। लेकिन हर बार इसकी सार्थकता पूरे दम-खम के साथ प्रतिपादित होती है। अब इसे बच्चों और माता-पिता के संदर्भ में ही ले लीजिए। एक नया शोध कहता है कि पैरेंट्स जितने सोशल होंगे, उनके बच्चों का ' ऑलओवर परफॉर्मेंस' उतना ही शानदार होगा तथा भविष्य उतना ही सकारात्मक।

अध्ययन कहता है कि जो पैरेंट्स ज्यादा लोगों से घुलना-मिलना और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न होना पसंद करते हैं, उनके बच्चे न केवल स्कूली शिक्षा में बल्कि हर गतिविधि में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं, बजाय उन पैरेंट्स के जिनका ज्यादातर समय टीवी के सामने और घर में बंद होकर गुजरता है।

दरअसल घरघुस्सु या टीवी चिपकू टाइप के माता-पिता न तो बच्चों के साथ समय गुजार पाते हैं न ही बच्चों को बाहर की दुनिया से ज्यादा जोड़ पाते हैं। नतीजा ऐसे बच्चे पढ़ाई के अलावा अपना अधिकांश समय टीवी और कम्प्यूटर गेम्स के सहारे बिताते हैं तथा सामाजिक रवायतों से अनभिज्ञ रह जाते हैं।

विशेषज्ञ कहते हैं कि सामाजिक तौर पर विभिन्न तरह के लोगों से मिलने-जुलने तथा अलग-अलग तरह की गतिविधियों से जुड़ने के कारण पैरेंट्स के साथ-साथ बच्चों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस तरह के बच्चे गणित, व्याकरण, पठन-पाठन जैसे विषयों में ज्यादा अंक पाते हैं। यदि आप भी अपने बच्चों को बेहतर भविष्य और सकारात्मक माहौल के साथ सही पालन-पोषण देने का इरादा रखते हैं तो अपना भी विकास कीजिए-
  दरअसल बाहर की दुनिया के विभिन्न रंग बच्चों को नई ऊर्जा और नए विषयों से जोड़ते हैं जिसके कारण वे सभी पहलुओं को जान सकते हैं। इसलिए बच्चों का समाज से जुड़ना फायदेमंद होता है। इसलिए समय मिलने पर पैरेंट्स को बच्चों के साथ समाज से घुलते-मिलते रहना चाहिए।      


* अपने दोस्तों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ाइए जो बच्चों के साथ समय बिताना पसंद करते हों, न कि बच्चों को सिर्फ शोभा की वस्तु समझते हों। इससे जब भी आप उन दोस्तों के साथ होंगे आपके बच्चों को भी एक अच्छा समय बिताने का मौका मिलेगा, बजाय घर पर रहने या कमरे में बंद रहने के।

* हमेशा दोस्तों के साथ डिनर का प्रोग्राम बनाते समय बच्चों को घर पर अकेले या नौकर के भरोसे छोड़ने की बजाय कभी-कभार उन्हें भी अपने प्रोग्राम का हिस्सा बनाइए। ऐसे आयोजनों से भी बच्चे काफी कुछ सीखते हैं, चाहे वो ज्ञान की दो बातें ही हों या किसी नई इंटरनेशनल डिश का नाम।

* कई ऐसे संगीत या ड्रामा ग्रुप भी अब उपलब्ध हैं जो बच्चों और बड़ों दोनों को अपनी गतिविधियों में शामिल करते हैं, ऐसे संगठनों से जुड़िए। यहाँ बिताया वक्त आप को, बच्चे को और समझने, जानने का मौका देगा और बच्चे भी यहाँ से कुछ नया सीखेंगे।

* अपने आस-पड़ोस में ही किसी ऐसे संगठन को ढूँढिए जो बड़े होते बच्चों के लिए बनाया गया हो। यदि ऐसा ग्रुप न हो तो अपने बच्चे को उत्साहित कीजिए और पड़ोस में रहने वाले उसके हमउम्र बच्चों की मदद से ऐसा एक ग्रुप बना डालिए, जहाँ हर विषय पर हफ्ते में कुछ दिन सब मिल-बैठकर चर्चा, बहस कर सकें या कुछ रचनात्मक करें।

दरअसल बाहर की दुनिया के विभिन्न रंग बच्चों को नई ऊर्जा और नए विषयों से जोड़ते हैं जिसके कारण वे सभी पहलुओं को जान सकते हैं। इसलिए बच्चों का समाज से जुड़ना फायदेमंद होता है। इसलिए समय मिलने पर पैरेंट्स को बच्चों के साथ समाज से घुलने-मिलने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा करने से आप बच्चों के सर्वांगीण विकास को सही अर्थों में सार्थक कर सकेंगे और स्वयं का विकास भी बेहतर ढंग से होगा ।
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