मातृत्व का लें पूरा आनंद

अब मातृत्व हुआ आसान

गायत्री शर्मा
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माँ बनना किसी भी औरत के लिए जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी होती है। जब घर में नन्हे बच्चे की किलका‍रियाँ गूँजती है तो माँ का रोम-रोम खिल जाता है।

मातृत्व का सुख वह सुख है जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता है। स्त्री को पूर्णता प्रदान करने वाला यह सुख कई नए रिश्तों को जन्म देता है।

मातृत्व को लेकर आजकल की महिलाओं में कई सारी भ्रांतियाँ हैं। पहली बार गर्भवती होने वाली महिला के लिए तो प्रसव पीड़ा व होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंताएँ होती हैं। यही चिंताएँ उसे नार्मल डिलेवरी के बजाय ऑपरेशन कराने को प्रेरित करती हैं।

  मातृत्व को लेकर आजकल की महिलाओं में कई सारी भ्रांतियाँ हैं। पहली बार गर्भवती होने वाली महिला के लिए तो प्रसव पीड़ा व होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंताएँ होती हैं। यही चिंताएँ उसे नार्मल डिलेवरी के बजाय ऑपरेशन कराने को प्रेरित करती हैं।      
* सिजेरियन का बढ़ा है चलन :-
आजकल सिजेरियन डिलेवरी का चलन जोरों पर है। डिलेवरी की पीड़ा से बचने के लिए गाँव की हो या शहर की, अधिकांश गर्भवती महिलाएँ अब सिजेरियन की ही माँग कर रही हैं।

सिजेरियन कराने का निर्णय महिलाएँ बड़ी आसानी से ले तो लेती है परंतु उस वक्त शायद वे सिजेरियन के भविष्यगामी परिणामों से अनभिज्ञ रहती है।

नॉर्मल डिलेवरी सबसे बेहतर होती है लेकिन कई बार ऐन वक्त पर ऐसी स्थितियाँ निर्मित होती है कि माँ और बच्चे दोनों की खातिर चिकित्सक को मजबूरन सिजेरियन करना ही पड़ता है। ऐसी स्थिति में सिजेरियन कराना बुरा नहीं है।

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* कैसे हो नार्मल डिलेवरी :-
इन दिनों नेचुरोपैथी चिकित्सा के एक ऐसे उपचार के रूप में उभरा है, जो हमारी शरीर व स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है। इस प्रकार की उपचार पद्धति में प्राकृतिक चीजों से उपचार किया जाता है।

प्रकृति ने फल, सब्जियों व पत्तों के रूप में कई सारे रोगों से लड़ने वाली औषधियाँ प्रदान की है।

नेचुरोपैथी में पौष्टिक आहार व योग पर ध्यान दिया जाता है। यदि आप गर्भवती होने के दौरान अपने खान-पान व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते हैं तो आप नि:संदेह ही गर्भधारण के समय होने वाली तकलीफों से निजाद पाकर एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकते हैं।

नेचुरोपैथी का एक और बड़ा फायदा यह है कि इस उपचार पद्धति में गर्भवती स्त्री को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाता है, जिससे कि वो अपने शरीर में आ रहे बदलावों के अनुरूप व्यवहार कर सके तथा सहज रूप से अपने घर में दस्तक देती खुशियों का स्वागत कर सके।
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