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कलेक्शन के शौकीन बच्चे

स्वभाव के अनुसार करते हैं कलेक्शन

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गायत्री शर्मा

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हर बच्चे की प्रकृति अलग-अलग होती है। किसी को कोई काम अच्छा लगता है और किसी को कोई। बच्चे इस दुनिया को एक अलग नजरिये से देखते हैं।

अपने स्वभाव के मुताबिक हर बच्चे के अलग-अलग शौक होते हैं। कुछ बच्चों को कार्टून्स का कलेक्शन करना अच्छा लगता है तो कुछ को पेंसिलों का, कुछ बच्चे रंगीन पन्नियाँ इकट्ठी करते हैं तो कुछ पुरानी किताबें।

संग्रह करने की आदत केवल बच्चों में ही नहीं बल्कि हम सभी में होती है। कुछ लोग किसी वस्तु का संग्रह इसलिए करते हैं कि वो समय पड़ने पर उनके काम आए और कुछ लोगों को पुरानी चीजों से प्रेम होता है इसलिए वे उसे अपने पास रखते हैं।

  बच्चों की आलोचना करने की बजाय आपको उनकी सराहना करनी चाहिए तथा यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि आखिर बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है और वह इन चीजों का संग्रह क्यों कर रहा है?      
बच्चों की कलेक्शन करने की आदत के दो कारण हो सकते हैं। कुछ बच्चों को अपनी चीजों से इतना मोह होता है कि बेकार होने पर भी वे उसे अपने पास रखना चाहते हैं।

वहीं कुछ बच्चे क्रिएटिव होते हैं, जो इन चीजों का अपनी रचनात्मकता में उपयोग करने के लिए इन्हें संजोकर रखते हैं।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार कलेक्शन की प्रवृत्ति बच्चों की मानसिक व भावनात्मक स्थिति को अभिव्यक्त करती है। संग्रह करने से बच्चों की बुद्धि क्षमता बढ़ती है।

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जब बच्चे अच्छी चीजों का संग्रह करते हैं तब माँ-बाप उनकी सराहना करते हैं किंतु जब वो कागज के टुकड़ों, अंटियों या लकड़ी के खिलौनों का संग्रह करते हैं तो माँ-बाप उसकी यह कहकर आलोचना करते हैं कि तुम्हारा यह कैसा शौक है?

बच्चों की आलोचना करने की बजाय आपको उनकी सराहना करनी चाहिए तथा यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि आखिर बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है और वह इन चीजों का संग्रह क्यों कर रहा है? शायद यह इस गुत्थी को सुलझाने पर आप अपने बच्चों के बारे में बेहतर तरीके से जान पाएँगे।

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