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जब शिशु के दाँत आने लगें

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आम तौर से शिशुओं के दाँत लगभग 6 महीने की उम्र से निकलने शुरू होते हैं, लेकिन 3-4 महीनों से ही या फिर 1 साल की उम्र से भी बच्चों के दाँत निकलना एक सामान्य बात है।

दाँतों के निकलने से पहले वे शिशु के मसूढ़ों में भीतर ही भीतर बढ़ते हैं, जिससे आपके शिशु को परेशानी हो सकती है। वह लार टपकाने लगेगा, हर चीज को चबाने की कोशिश करेगा और चिड़चिड़ा दिखाई देगा। अपने शिशु की परेशानी कम करने के लिए आप ऐसा करें-

* उसके मसूढ़ों को अपनी छोटी उंगली से हल्के-हल्के रगड़ें।

* उसे चबाने के लिए कोई ठोस चीज दें- कच्ची गाजर, रस का टुकड़ा या फिर टीथिंग रिंग।

* उसे पीने की चीजें कप में दें, क्योंकि चूसने में उसे दर्द हो सकता है।

* शिशु को ठंडी हवा में न घुमाएँ, क्योंकि इससे दाँत निकलने का दर्द और बढ़ जाता है।

* शिशु के जब सभी दाँत आ जाएँ (सामान्यतः 2 वर्ष की उम्र तक) तो उसे काफी मात्रा में चबाने वाला भोजन, ताजे फल और कच्ची सब्जियाँ दें। इनसे उसके जबड़ों की न केवल मांसपेशियाँ मजबूत बनेंगी, बल्कि दाँत भी साफ होते रहेंगे, क्योंकि ऐसी चीजों में काफी 'फाइबर्स' (रेशे) होते हैं।

* दूध के दाँतों के लिए भी सफाई महत्वपूर्ण होती है, इसलिए बचपन से ही अपने शिशु को दाँत ब्रश करने की आदत डालें। इसके लिए उसे गोल और मुलायम बालों वाला ब्रश ला कर दें और दाँतों की सफाई को इस प्रकार पेश करें कि शिशु को वह कोई मजेदार खेल नजर आए, ताकि वह बड़े चाव से अपने दाँतों की खुद ही देखभाल कर सके।

* अगर आपके शिशु के भोजन में मिठाई, केक, चॉकलेट, बिस्कुट और मीठे पेय-पदार्थ जैसी चीनी वाली चीजें न हों तो दाँतों की खराबी को आसानी से रोका जा सकता है। यह सुनिश्चित करें की शिशु की खुराक में कैल्शियम और विटामिन-डी प्रचुर मात्रा में हों, क्योंकि ये दोनों तत्व स्थायी दाँतों के स्वस्थ निर्माण के लिए अनिवार्य होते हैं।

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