सफल माँ की सफल संतान

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बच्चे अपनी माँ को देखकर ही बड़े होते हैं तथा माँ ही उनकी प्रथम पाठशाला होती है। माँ की विशेष जिम्मेदारी होती है कि वह बच्चों को एक पौधे की तरह सींच कर बड़ा करे और उसे घना छायादार वृक्ष बनाए।

माँ की सफलता अपने आप ही बच्चों को बहुत कुछ सिखा देती है साथ ही उसका साहस, विश्वास तथा प्यार बच्चों को आगे बढ़ने में बहुत मदद देता है। यदि माँ एक सफल नौकरीपेशा है तो बच्चों को भी प्रेरणा मिलती है कि वे भी अपनी माँ की तरह घरेलू जिंदगी में अच्छा तालमेल बनाएँ जैसा उनकी माँ बना रही है।

* अगर माँ किसी व्यवसाय में बहुत सफल है तो बच्चे उसी व्यवसाय को अपनाकर माँ को ही अपना गुरू बना सकते हैं या किसी दूसरे व्यवसाय में माँ की मदद ले सकते हैं।

* माँ के कठिन परिश्रम, समयबद्धता तथा विनम्रता के गुणों को देखकर बच्चों पर एक अलग ही प्रभाव पड़ता है। साथ ही माँ अपने अनुभवों से यह भी जान जाती है कि किस प्रकार की शिक्षा उसके बच्चे के लिए ठीक रहेगी।

* सफल माँ अपने बच्चों के साथ दोस्ताना भी रहती हैं और उनके बच्चे जीवन के प्रति व्यवहारिक दृष्टिकोण से काम लेते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में वे स्वावलंबन को महत्व देते हैं।

* साथ ही माँ यदि बच्चों को अपने से भी ज्यादा सफल देखना चाहती है, जो कि हर माँ चाहेगी ही, तो उसे भी बच्चों के रंग में ढलना पड़ेगा, बच्चे क्या चाहते हैं यह देखना पड़ेगा। बच्चों को प्यार और अपनापन देने के साथ वह उन्हें अच्छे-बुरे की परख कराएँ और भविष्य सँवारने में पूर्ण योगदान दे।

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