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स्कूल जाने से कैसा घबराना

कहीं यह बच्चे का डर तो नहीं

हमें फॉलो करें स्कूल जाने से कैसा घबराना

गायत्री शर्मा

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जब बच्चे पहली बार घर से निकलकर स्कूल की दहलीज पर कदम रखते हैं तो उनके लिए ये एक अलग ही अनुभव होता है।

स्कूल के भवन से लेकर साथी, शिक्षक सबकुछ उसके लिए नया-नया सा होता है। कुछ बच्चे तो स्कूल के माहौल में आसानी से ढल जाते हैं वहीं कुछ स्कूल के नाम से ही काँप जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं।

माँ-बाप बढ़ाएँ हौसला :-
जब बच्चा पहली बार स्कूल जाता है तो उसे अपने से दूर करना माँ-बाप के लिए भी बहुत ही मुश्किल होता है। ऐसे में यदि बच्चे के रोने पर माँ-बाप उसे स्कूल नहीं भेजेंगे तो बच्चा हमेशा स्कूल जाने में नाटक करेगा क्योंकि आप जो है उसे लाड़-प्यार करने के लिए।

बच्चों को कमजोर व डरपोक बनाने की बजाय आप उसे स्कूल जाने के लिए प्रेरित कीजिए। आपका हौसला बच्चे में पढ़ने के प्रति रुचि पैदा करेगा।

  बच्चे के हर रोज स्कूल नहीं जाने की जिद पर उसको चाकलेट देना या उसकी सभी फरमाइशें पूरी करना बच्चे की आदत बिगाड़ना है। जिस दिन आप उसकी जिद पूरी नहीं करते हैं, उस दिन आपका बच्चा स्कूल जाने में नाटक करने लगता है।       
क्यों डरता है आपका लाड़ला :-
यदि बच्चा स्कूल के नाम से ही काँप जाए या रोने लगे तो इसके पीछे क्या वजह है। यह जानना माँ-बाप का कर्तव्य है। हो सकता है बच्चे के मन में कोई डर बैठ गया हो, जिससे वह स्कूल नहीं जा रहा है।

ऐसी स्थिति में आपको बच्चे से बातचीत कर उसके इस डर का कारण जानना चाहिए। आपको बच्चे के स्कूल जाकर उसके साथी व शिक्षकों से भी बच्चे के बारे में जानकारी लेनी चाहिए।

ज्यादा लाड़-प्यार अच्छा नहीं :-
माँ-बाप को अपना हर बच्चा प्यारा होता है किंतु कभी- कभी माँ-बाप के लाड़-प्यार की अति बच्चे को बिगाड़ देती है। बच्चे के हर रोज स्कूल नहीं जाने की जिद पर उसको चाकलेट देना या उसकी सभी फरमाइशें पूरी करना बच्चे की आदत बिगाड़ना है।

जिस दिन आप उसकी जिद पूरी नहीं करते हैं, उस दिन आपका बच्चा स्कूल जाने में नाटक करने लगता है।

बच्चे को प्यार करें परंतु इतना उसे इतना मत बिगाड़ो कि वो पढ़ाई-लिखाई ही ना करें। बच्चों की हर बात सुनकर उसे इस प्रकार से समझाओ कि उसकी पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा हो।

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