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पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते दूर की कौड़ी...

-वेबदुनिया

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, गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013 (19:05 IST)
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पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवान का सिर काटे जाने की घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर खटास आ गई। हालांकि भारत ने इसके बावजूद नरम रुख अख्तियार किया, लेकिन पाकिस्तान ने अपनी ऊल-जुलूल बयानबाजी जारी रखी।

इससे भी एक कदम आगे वहां के गृहमंत्री रहमान मलिक ने आतंकी सरगना हाफिज मोहम्मद सईद के सुर में सुर मिलाते हुए भारत को शाहरुख की सुरक्षा के लिए नसीहत दे डाली। ...लेकिन भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर देशवासी क्या सोचते हैं। आइए, जानते हैं वेबदुनिया के पाठकों के विचार। बहस का विषय था- क्या भारत के साथ रिश्ते सुधारने को लेकर पाकिस्तान गंभीर है?

महेश नेनावा- पाक से संबंध सुधारने की बात तो 'दूर की कौड़ी' ही है और आगे भी रहेगी। जो रोज-रोज हमसे बातों में और सीमा पर गुस्ताखी करता रहता है उससे रिश्ते सुधरने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। साथ ही वो भी इस मामले गंभीर कभी नजर नहीं आया है और न ही आएगा।

प्रीति सिंह- पाकिस्तान ना कभी सुधार है, ना कभी सुधरेगा...सिर्फ आतंक फैलाएगा।

बबलू नाकतोड़े- भारत से रिश्ते सुधारने के संबंध में पाकिस्तान ना कभी गंभीर था, ना है और ना रहेगा क्योंकि कुत्ते कि पूंछ को अगर सौ साल तक भी नली में रखो तो भी वह टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी।

सुमन- पाकिस्तान में जब तक कट्टरपंथी लोगों का दबदबा बना रहेगा तब तक पाकिस्तान और हिंदुस्तान के रिश्तों में कभी सुधार नहीं आ सकता।

डीबीएस सेंगर- देश के विभाजन के बाद से पाकिस्तान ने ऐसी कोई पहल नहीं की है, जिससे ऐसा लगे कि वह रिश्ते सुधारना चाहता है। हम ही बेवकूफ हैं, जो उससे यह उम्मीद करते हैं। जिस देश की रग-रग में भारत विरोध भरा हो उससे यह आशा करना ही निरी बेवकूफी है। शिंदे साहब के बयानों के बाद तो वो और आक्रामक हो गया है। पहले इन लोगों की जुबान में ताले लगाओ। जब तक ये लोग जुबान चलाना बंद नहीं करेंगे तब तक पाकिस्तान के साथ रिश्ते सामन्य नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें बोलने के लिए शब्द ये ही लोग उनके मुंह में डालते हैं।

एनके तिवारी- सांप्रदायिकता के आधार पर निर्मित पाकिस्तान भारत विरोध के लिए मजबूर है। पाकिस्तान के ज्यादातर लोग संबंध सुधारना चाहते हैं पर आतंकवादी इसमें सबसे बड़ा रोड़ा हैं।

विवेक रंजन श्रीवास्तव- पाकिस्तान की किसी भी बात पर यकीन नहीं किया जा सकता।

मनीष कुमार जायसवाल- नहीं, क्योंकि सांप पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता।

भगवान सहाय- पाकिस्तान इस मामले में बिलकुल गंभीर नहीं है।

अजय- जी नहीं, पाकिस्तान की मंशा कभी भी भारत के हित में नहीं हो सकती क्योंकि पाकिस्तान हमेशा ही भारत का विरोधी रहा है। पाकिस्तान की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। उसकी किसी भी बात पर यकीन नहीं किया जा सकता है।

अनुराग पारे- पाकिस्तान में गंभीरता है ही नहीं और जब देश का शासन किसी और के हाथों में हो तो भरोसा और भी कम हो जाता है।

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