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जानिए आपका शहर है कितना प्रदूषित

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केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट की घोषणा की है। इन स्कीम में देश के 98 शहरों को स्मार्ट बनाया जाएगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से पहले एक नजर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट महत्वपूर्ण है, जो दिसंबर 2014 में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित 20 शहरों में 13 शहर भारत के हैं। 
विश्व में दूसरे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले और विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश भारत को आवश्यकता है कि वह अपने नागरिकों को साफ हवा उपलब्ध कराए। तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण से हवा में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। 
 
 
देश के और शहरों की बात करें तो पटना, ग्वालियर, रायपुर भी इस सूची में शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह रिपोर्ट इन शहरों में हवा में मौजूद नाइट्रोजन, डायोक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड और सल्फर डाइक्साइड जैसी खतरनाक गैसों की मौजूदगी के अध्ययन पर आधारित यह रिपोर्ट तैयार की है। 
NEXT PAGE : रहने लायक नहीं हैं ये शहर... 

क्या होता है स्मॉग : चीन की राजधानी बीजिंग में स्मॉग के कारण रेड अलर्ट जारी कर दिया गया। स्कूल- कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई। देश की राजधानी दिल्ली में भी स्मॉग की स्थिति खतरनाक है। स्मॉग दो शब्दों 'स्मोक' और 'फॉग' से मिलकर बना है। इस शब्द का प्रयोग 20वीं सदी के शुरूआत से हो रहा है।
 
जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तब स्मॉग बनता है। चूंकि ठंडी हवा भारी होती है इसलिए वह रिहायशी इलाके की गर्म हवा के नीचे एक परत बना लेती है। तब ऐसा लगता है जैसे ठंडी हवा ने पूरे शहर को एक कंबल की तरह लपेट लिया है। 
 
गर्म हवा हमेशा ऊपर की ओर उठने की कोशिश करती है और थोड़ी ही देर में वह किसी मर्तबान के ढक्क्न की तरह व्यवहार करने लगती है। कुछ ही समय में हवा की इन दोनों गर्म और ठंडी परतों के बीच हरकतें रुक जाती हैं। इसी खास 'उलट पुलट' के कारण स्मॉग बनता है। इसी वजह से गर्मियों के मुकाबले ठंड में स्मॉग ज्यादा आसानी से बनता है। 
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प्रदूषण बना जानलेवा : प्रदूषण भी स्मॉग बनने का सबसे बड़ा कारण है। उद्योग, धंधों और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ तो कहीं चिमनियां, सब हवा में खूब धुआं घोल रहे हैं। इसी कारण यह स्मॉग बनता है।  
 
 
हृदय के लिए खतरनाक : सूक्ष्म पर्टिकुलेट कण, ओजोन, नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड मानव शरीर के लिए बहुत खतरनाक है। ठंड में गाड़ियों के धुंए से हवा में मिलने वाले ये सूक्ष्म कण बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर देते हैं।  इन सूक्ष्म कणों की मोटाई करीब 2.5 माइक्रोमीटर होती है और अपने इतने छोटे आकार के कारण यह सांस के साथ फेफड़ों में घुस जाते हैं और बाद में हृदय को भी हानि पहुंचा सकते हैं।  
 
गर्मी में और भी खतरनाक : गर्मियों में जब स्मॉग बनता है तो यह ओजोन को हानि पहुंचाता है। कारों के धुएं में जो नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन्स होते हैं, वे सूर्य की रोशनी में रंगहीन ओजोन गैस में बदल जाते हैं। ओजोन ऊपरी वातावरण में एक रक्षा पर्त बनाकर हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है, लेकिन वही ओजान अगर धरती की सतह पर बनने लगे तो हमारे लिए बहुत जहरीला हो जाता है। (एजेंसियां)

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