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Operation Sindoor को लेकर एयर मार्शल तिवारी का बड़ा खुलासा, बोले- 50 से कम हमलों में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, लगाने लगा सीजफायर की गुहार

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शनिवार, 30 अगस्त 2025 (23:18 IST)
Big disclosure on Operation Sindoor : एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय वायुसेना द्वारा सावधानीपूर्वक चुने गए पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर 50 से भी कम अस्त्र दागे गए और इसी में 10 मई की दोपहर तक इस्लामाबाद को संघर्ष रोकने का अनुरोध करना पड़ा। वायुसेना उप प्रमुख ने मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि 9 और 10 मई की मध्य रात्रि पाकिस्तान के हमले के बाद किए गए हमलों के साथ भारतीय वायुसेना पाकिस्तानी सेना पर पूर्ण प्रभुत्व हासिल करने में सक्षम रही। उन्होंने कहा, हमने हर अस्त्र का इस्तेमाल किया और इससे हमारे योजनाकारों तथा मिशन को अंजाम देने वाले लोगों की क्षमता का पता चलता है।
 
तिवारी ने कहा, मैं आपको बताना चाहूंगा कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी कि 50 से भी कम अस्त्रों में हम पूर्ण प्रभुत्व हासिल करने में सक्षम रहे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ वायुसेना अधिकारी ने कहा कि मिशन के दौरान जिन पाकिस्तानी ठिकानों को नष्ट किया गया, उनमें से कुछ ऐसे थे जो 1971 के युद्ध के दौरान भी नष्ट नहीं हुए थे।
उन्होंने कहा, हमने हर अस्त्र का इस्तेमाल किया और इससे हमारे योजनाकारों तथा मिशन को अंजाम देने वाले लोगों की क्षमता का पता चलता है। भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसके तहत पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया था।
 
दोनों देशों के बीच चार दिन तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं। एयर मार्शल ने कहा कि भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया गया था कि दंडात्मक कार्रवाई स्पष्ट दिखने वाली होनी चाहिए तथा अनेक विकल्पों में से नौ आतंकवादी लक्ष्यों को चुना गया।
तिवारी ने यह भी कहा कि संघर्ष समापन भी समग्र रणनीति का एक हिस्सा था क्योंकि युद्ध शुरू करना बहुत आसान है, लेकिन उसे समाप्त करना उतना आसान नहीं है और यह एक महत्वपूर्ण बात थी जिसे ध्यान में रखना था। उन्होंने कहा, हमारे पक्ष में जो महत्वपूर्ण पहलू रहा वह यह था कि हमें पूर्ण अभियानगत स्वतंत्रता दी गई थी।
 
वायुसेना उप प्रमुख ने ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित घटनाक्रम पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया का भी विस्तृत ब्योरा दिया। एयर मार्शल तिवारी ने कहा कि भारत सात मई को तड़के पाकिस्तानी आतंकी ढांचे पर हमला करने के बाद स्थिति को और बिगाड़ने का इच्छुक नहीं था।
 
उन्होंने कहा, हमने प्रतिक्रिया की अपेक्षा की और फिर भी इसे संतुलित रखा, और हमने सिर्फ़ सैन्य ठिकानों पर ही हमला किया। लेकिन जब 9-10 मई की रात को मुख्य हमला हुआ, तो हमने तय किया कि हमें सही संदेश देना होगा। हमने उन्हें चौतरफा निशाना बनाया।
वायुसेना अधिकारी ने कहा, ऐसे लक्ष्य थे जिन्हें नष्ट किया गया, जिन्हें 1971 के युद्ध के दौरान भी नष्ट नहीं किया जा सका था। हमने उनकी क्षमता को इस तरह की क्षति पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने अपने हमलों को केवल सैन्य लक्ष्यों तक ही सीमित रखा। उन्होंने कहा कि इस हमले के पीछे का उद्देश्य पाकिस्तान की क्षमता को खत्म करना और सही संदेश भेजना था।
 
एयर मार्शल ने स्वीकार किया कि दुश्मन के लक्ष्यों पर प्रहार करने के लिए लंबी दूरी तक निशाना लगाना जोखिम भरा होता है, लेकिन भारतीय वायुसेना ने मिशन को पूर्णता के साथ अंजाम दिया। उन्होंने कहा, इस रेंज से सटीक निशाना लगाना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि यह बहुत जोखिम भरा होता है, क्योंकि दूरी जितनी लंबी होगी, आपको लगता है कि नुकसान की संभावना उतनी ही अधिक है।
वायुसेना अधिकारी ने कहा, लेकिन हमारे योजनाकारों और मिशन को अंजाम देने वाले लोगों को श्रेय देना होगा कि हम प्रत्‍येक लक्ष्य को सटीक रूप से नष्ट करने में सफल रहे। हम यह सुनिश्चित करने में सफल रहे कि कोई अतिरिक्त क्षति न हो। यह कोई आसान खेल नहीं है।
 
उन्होंने कहा, आपके पास लंबी दूरी का अस्त्र हो सकता है, लेकिन उस अस्त्र से सटीक लक्ष्य भेदन करने के लिए जो काम किया जाता है, वह वास्तव में पूरी टीम का प्रयास होता है, न कि केवल उन पायलटों का जिन्होंने इन्हें दागा। ज़मीन पर बहुत से लोग होते हैं जो इसे संभव बनाते हैं।
आतंकवादी ढांचों पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सूचित किया था कि वह स्थिति को और नहीं बिगाड़ना चाहता तथा हमले आतंकवादी ठिकानों पर लक्षित थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने जवाबी सैन्य कार्रवाई शुरू की तो भारत ने इसका भीषण जवाब दिया। (इनपुट एजेंसी)
Edited By : Chetan Gour

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