बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी देने की तैयारी में है। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) ने घोषणा की है कि वह मानवता के विरुद्ध अपराध के मामले में अपदस्थ पीएम शेख हसीना के खिलाफ 17 नवंबर को फैसला सुनाएगा। इस मामले में सरकार की ओर से हसीना को मौत की सजा देने की मांग की गई है।
राजधानी ढाका में कड़ी सुरक्षा के बीच विशेष अदालत में मौजूद मीडिया जानकारी दी कि तीन न्यायाधीशों वाले न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाने के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है। इस घोषणा के बीच हसीना की पूर्व अवामी लीग सरकार ने ढाका बंद का आह्वान किया, जिससे शहर में सुरक्षा व्यवस्था चरम पर पहुंच गई।
इस मामले में शेख हसीना, अपदस्थ गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मुकदमा चलाया गया। हसीना और कमाल पर उनकी अनुपस्थिति में सुनवाई हुई और अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। आईसीटी-बीडी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने आरोपियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। वहीं, पूर्व पुलिस प्रमुख मामून ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर मुकदमे का सामना किया, लेकिन बाद में वे सरकारी गवाह बन गए। फैसला सुनाने की तारीख तय करते समय मामून को कटघरे में खड़ा देखा गया। न्यायाधिकरण ने 28 कार्य दिवसों की सुनवाई के बाद 23 अक्टूबर को मामले को अंतिम रूप दिया। इस दौरान 54 गवाहों ने अदालत के समक्ष गवाही दी, जिसमें बताया गया कि पिछले वर्ष जुलाई विद्रोह नामक छात्र आंदोलन को दबाने के लिए कैसे प्रयास किए गए थे।
क्या था पूरा मामला : बांग्लादेश में छात्रों के एक आंदोलन ने 5 अगस्त 2024 को हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था। हसीना सरकार पर आंदोलनकारियों के दमना का आरोप है। इन आरोपियों पर पांच धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्य शामिल हैं। फैसले की घोषणा के ठीक बाद अवामी लीग ने ढाका बंद का आह्वान किया, जिसके चलते शहर में असामान्य शांति छा गई। प्राधिकारियों ने सेना, अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और दंगा नियंत्रण उपकरणों से लैस पुलिस को तैनात किया। आईसीटी-बीडी परिसर और उसके आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सड़कें खाली रहीं, और हजारों लोग घरों में कैद हो गए। हालांकि, कुछ लोग सतर्कता बरतते हुए कार्यस्थलों और स्कूलों की ओर निकले।
हसीना पर फैसले से पहले बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों समेत कई निजी संस्थानों ने हिंसा की आशंका से ऑनलाइन काम जारी रखा। अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना ने हाल के साक्षात्कारों में आईसीटी-बीडी को कंगारू कोर्ट करार दिया, जो उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा संचालित है। उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिए विशेष ईमेल साक्षात्कार में कहा, मैं अंतरराष्ट्रीय निगरानी में, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) में भी मुकदमे का सामना करने को तैयार हूं। उन्होंने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, मैंने यूनुस सरकार को बार-बार चुनौती दी है कि अगर वे अपने मामले को लेकर इतने आश्वस्त हैं, तो मुझ पर आईसीसी में मुकदमा चलाएं।
Edited By: Navin Rangiyal