जम्मू। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के शरणार्थियों ने 'एक मुश्त भुगतान' को मोदी सरकार द्वारा नाकाम करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और 25 लाख रुपए प्रति पीओके शरणार्थी परिवार अनुदान की राशि जारी करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने का उनसे अनुरोध किया।
शरणार्थियों और पीओके से 1947, 1965 एवं 1971 के विस्थापितों का एक प्रतिनिधमंडल बुधवार रात यहां अपनी यात्रा के दौरान राहुल से मिला और पीओके शरणार्थियों के लिए एकमुश्त भुगतान के मुद्दे पर चर्चा की।
प्रतिनिधिमंडल ने संप्रग नेतृत्व के हस्तक्षेप पर 2012 में पिछली कांग्रेस-नेकां नीत सरकार द्वारा तैयार किए गए पैकेज की ताजा स्थिति से उन्हें अवगत कराया।
राज्य सरकार ने पीओके शरणार्थियों के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श कर 25 लाख रुपए का पैकेज हर परिवार को एकमुश्त भुगतान के रूप में देने की योजना बनाई थी। इसके अलावा इन विस्थापितों के बच्चों को आरक्षण और रियायत की सिफारिश भी की गई थी।
प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस नेता से केंद्र पर दबाव डालने का अनुरोध किया, ताकि उनका पैकेज बगैर किसी देरी के जारी हो जाए।
आईबी ने सोपोर के विधायक के घर नहीं जाने दिया : राहुल गांधी ने कहा कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) की ओर से आए ‘आखिरी मिनट’ के परामर्श ने उन्हें जम्मू-कश्मीर में सोपोर के विधायक के घर जाने से रोक दिया। दूसरी तरफ उनकी पार्टी के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर सरकार पर राहुल के दौरे को ‘गड़बड़ करने’ का आरोप लगाया।
राहुल ने सोपोर से पार्टी के विधायक अब्दुल राशिद डार से कहा, ‘इस बार आईबी के लोगों ने आपके घर का दौरा करने से रोक दिया। उन्होंने मुझे आखिरी मिनट पर यह बताया।’ उन्होंने कहा, ‘अगली बार जब राज्य का दौरा करुंगा तो मैं आपके घर आऊंगा और आपके साथ चाय पियूंगा।’
जम्मू-कश्मीर कांगेस के उपाध्यक्ष गुलाम नबी मोंगा ने कहा, ‘दांगेरपोरा में सभा होने वाली थी, जहां अधिक लोगों को एकत्र किया जा सकता था परंतु हमें बताया गया कि रैली नहीं हो सकती। सरकार राहुल के दौरे को गड़बड़ करने का प्रयास कर रही थी।’ (भाषा)