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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, SIR में 11 दस्तावेज होना मतदाता अनुकूल

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , बुधवार, 13 अगस्त 2025 (14:26 IST)
Supreme court on SIR: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बिहार में पहले किए गए मतदाता सूची के संक्षिप्त पुनरीक्षण में दस्तावेजों की संख्या 7 थी और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में यह 11 है, जो दर्शाता है कि एसआईआर मतदाता अनुकूल है। ALSO READ: राहुल गांधी बोले, वोट की चोरी आपके अधिकारों की चोरी, शेयर किया वीडियो
 
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आयोजित करने के निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू की और कहा कि याचिकाकर्ताओं की इस दलील के बावजूद कि आधार को स्वीकार न करना अपवादात्मक था, ऐसा प्रतीत होता है कि दस्तावेजों की बड़ी संख्या वास्तव में समावेशी थी।
 
पीठ ने कहा कि राज्य में पहले किए गए संक्षिप्त पुनरीक्षण में दस्तावेजों की संख्या 7 थी और एसआईआर में यह 11 है, जो दर्शाता है कि यह मतदाता अनुकूल है। हम आपकी दलीलों को समझते हैं कि आधार को स्वीकार न करना अपवादात्मक है, लेकिन दस्तावेजों की अधिक संख्या वास्तव में समावेशी स्वरूप की है।
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि मतदाताओं को सूची में शामिल 11 दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना आवश्यक था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने असहमति जताई और कहा कि दस्तावेजों की संख्या भले ही अधिक हो, लेकिन उनका कवरेज कम है। ALSO READ: विजय सिन्हा के बाद तेजस्वी के निशाने पर भाजपा की निर्मला देवी, फिर उठाया 2 वोटर आईडी का मुद्दा
 
मतदाताओं के पास पासपोर्ट की उपलब्धता का उदाहरण देते हुए, सिंघवी ने कहा कि बिहार में पासपोर्ट धारकों की संख्या 1 से 2 प्रतिशत हैं और राज्य में स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर हम बिहार की आबादी के पास दस्तावेजों की उपलब्धता देखें, तो पता चलता है कि कवरेज बहुत कम है। इस पर पीठ ने कहा कि राज्य में 36 लाख पासपोर्ट धारकों की संख्या अच्छी प्रतीत होती है।
 
न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों से फीडबैक लेने के बाद आमतौर पर दस्तावेजों की सूची तैयार की जाती है।
 
गत 12 अगस्त को, शीर्ष अदालत ने कहा कि मतदाता सूची में नागरिकों या गैर-नागरिकों को शामिल करना या बाहर करना निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में है और बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर में आधार और मतदाता पहचान पत्र को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं करने के आयोग के रुख का न्यायालय ने समर्थन किया।
 
संसद के अंदर और बाहर एसआईआर के मुद्दे पर प्रदर्शन के बीच, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यह विवाद काफी हद तक विश्वास की कमी का मुद्दा है, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने दावा किया है कि बिहार में कुल 7.9 करोड़ मतदाता आबादी में से लगभग 6.5 करोड़ लोगों को अपने या माता-पिता के लिए कोई दस्तावेज दाखिल करने की आवश्यकता नहीं थी जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में थे।
edited by : Nrapendra Gupta 

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