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उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट

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लखनऊ , गुरुवार, 30 सितम्बर 2010 (12:10 IST)
PTI
अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आज अपराह्न आने वाले फैसले के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं और पूरे उत्तरप्रदेश को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

प्रशासन ने किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति से निपटने के लिए न सिर्फ पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है बल्कि न्यायालय परिसर सहित सभी प्रमुख संस्थानों और संवेदनशील नगरों में सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किए हैं।

फैसले के वक्त मीडिया तो क्या बिना अधिकृत परिचय पत्र के उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं को भी अदालत परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है और सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए परिसर के बाहर और भीतर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के साथ न्यायालय के हर द्वार पर क्लोज सर्किट टेलीविजन कैमरे लगाए गए हैं।

पूरे प्रदेश में सुरक्षा स्थिति पर नजर रखने के लिए पुलिस महानिदेशक कार्यालय पर एक नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया है जिस पर छह टेलीफोन नम्बरों पर कोई भी प्रदेश के किसी भी कोने में किसी अप्रिय घटना की सूचना दे सकेगा।

पीएसी के महानिरीक्षक आर.के. सिंह ने बताया कि किसी तरह की अप्रिय घटना या शरारत होने की स्थिति में लोग 0522-2206901, 9454402508, 9454402509, 9454402510, 9307100100 और 998410010 नम्बरों पर फोन कर जानकारी दे सकेंगे ताकि हालात पर तुरंत नियंत्रण किया जा सके।

इस बीच, गृह विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और मुख्यमंत्री मायावती ने कानून एवं व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकारियों को पूरी तरह चौकस रहने और अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा व्यवस्था पर पैनी नजर रखने के लिए अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर की रात्रि हवाई निगरानी की भी व्यवस्था की गई है।

सूत्रों ने बताया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ पीठ परिसर के भीतर और बाहर केन्द्रीय आरक्षी बलों की अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात कर दी गई हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षाकर्मियों ने परिसर की सघन जाँच कर ली है।

सुरक्षा व्यवस्था पर करीबी नजर रखने के लिए उच्च न्यायालय परिसर के सभी द्वारों पर सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ क्लोज सर्किट कैमरे लगा दिए गए हैं। अदालत का फैसला सुनाए जाने के मौके पर मीडिया को अदालत परिसर के आसपास भी जाने की इजाजत नहीं है और अदालत के फैसले की जानकारी देने के लिए जिला कचहरी परिसर पर मीडिया के लिए अलग व्यवस्था कर दी गई है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ परिसर की सुरक्षा के लिए एक अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी सहित छह अपर पुलिस अधीक्षकों 22 उपाधीक्षकों 144 उपनिरीक्षकों 104 प्रधान आरक्षियों और 807 आरक्षियों के अलावा पीएसी की दो कंपनियों लगभग 200 जवानों की तैनाती की गई है। यह तैनातियाँ केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों (सीआरपीएफ) और आरपीएफ के अतिरिक्त हैं।

इसी तरह इलाहाबाद उच्च न्यायालय परिसर की सुरक्षा में दो अपर पुलिस अधीक्षकों 16 उपाधीक्षकों, छह निरीक्षकों 30 उपनिरीक्षकों और 200 आरक्षियों के अलावा पीएसी की चार कंपनियाँ तैनात की गई हैं और स्थिति पर नजर रखने के लिए लखनऊ में छह अपर जिलाधिकारियों 20 उप जिलाधिकारियों तथा इलाहाबाद में एक अपर जिलाधिकारी एवं 15 उपजिलाधिकारियों की तैनाती की गई है।

फैसला सुनाने वाली अदालत के पीठ में शामिल तीनों न्यायमूर्तियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और हर एक के आवास पर पीएसी की एक प्लाटून (लगभग 20 जवान) तथा पाँच सीआरपीएफ जवानों की तैनाती कर दी गई है। उनकी सुरक्षा की देखरेख के लिए उपाधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है। तीनों न्यायाधीशों के एस्कोर्ट ड्यूटी पर रहने वाली सुरक्षा में भी बढ़ोतरी की गई है।

जिलाधिकारी अनिल सागर ने बताया कि उच्च न्यायालय परिसर की सघन सुरक्षा जाँच करके उसे वर्जित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है और वहाँ आधिकारिक परिचय पत्र के बिना किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने बताया कि मुकदमे से जुड़े अधिवक्ताओं, महाधिवक्ता, सरकारी और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के अलावा अदालत परिसर में केवल वे अधिवक्ता ही प्रवेश कर पाएँगे जिनके मुकदमों की सुनवाई होनी है और जिन्हें विशेष परिचय पत्र जारी किए गए हैं।

जिलाधिकारी ने बताया कि उच्च न्यायालय के आस पास के मार्गो को सील कर दिया जाएगा और उनसे होने वाले यातायात पथ को परिवर्तित कर दिया जाएगा।(भाषा)

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