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क्या और गहराएगा बिजली संकट...

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नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले लोगों से वादा किया था कि उन्हें सस्ते दाम पर 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद लगता है मोदी अपना वादा भूल गए हैं। केंद्र में भाजपा की सरकार बनते ही राजधानी में अंधेरा छा गया। इस संकट से जैसे-तैसे लोग उभरे ही थे कि वहां के लोगों को बिजली के दाम बढ़ाकर तगड़ा झटका दे दिया गया।

अच्छे दिन की उम्मीद कर रही जनता को भाजपा राज बिजली के एक नहीं कई झटके लगने वाले हैं। दिल्ली ही नहीं पूरे देश में काम कर रही बिजली कंपनियां दाम बढ़ाने की फिराक में है। कोयले की कमी का हवाला देकर जमकर बिजली कटौती की जा रही है। गांव तो गांव कई शहरों में भी नाममात्र की बिजली दी जा रही है।

बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा दिया है कि सरकार कोयला संकट दूर करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। गोयल ने उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों की मदद मांगी है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य मदद करते हैं तो 1-2 साल में कोयले का उत्पादन बढ़ाना आसान हो जाएगा।

सरकार ने बताया कि देश के 45 बिजली संयंत्रों के पास सात दिनों से कम का कोयला भंडार है। 24 घंटे बिजली के लिए कोयले का उत्पादन बढ़ाना होगा। पर्याप्त कोयला मिलने पर बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी। कोयला खानों की क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए और कोयला संकट दूर करने के लिए राज्य सरकारों से बातचीत जारी है।

सरकार का यह बयान भी इस बात की ओर इशारा करता है कि अगर व्यवस्था सुधर गई तो मोदी सरकार श्रेय लेने में पीछे नहीं हटेगी और ना सुधरी तो ठीकरा राज्यों के सिर फोड़ दिया जाएगा।

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