लगातार 10 सालों तक जिस टनल के कारण कटरा तक रेल पहुंचाने में दिक्कतों का सामना रेलवे को करना पड़ा है, वहां कल (बुधवार को) 2 घंटों तक 'श्री शक्ति एक्सप्रेस' इसलिए फंसी रही, क्योंकि वहां पहुंचकर ट्रेन हांफने लगती है अर्थात वहां से चढ़ाई शुरू होती है और ट्रेन के इंजन दम तोड़ देते हैं।
उधमपुर-कटरा रेल लाइन का एक चौंकाने वाला पहलू यह भी है कि इसे अभी तक कमिश्नर रेलवे सेफ्टी का प्रमाण पत्र नहीं मिला है, जो किसी भी रेल ट्रैक पर रेल परिचालन के लिए जरूरी होता है।
इस माह के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कटरा रेल लाइन का उद्घाटन कर प्रतिवर्ष वैष्णोदेवी के तीर्थस्थान पर आने वाले 1 करोड़ यात्रियों को तोहफा तो दे दिया, पर अपने दूसरे ही फेरे में लंबी दूरी की ट्रेन के 2 घंटों तक टनल-27 में फंसने के कारण रेलवे परेशान हो गया है। दरअसल, इस टनल से ही चढ़ाई शुरू होती है और इस टनल में अक्सर बारिश के बाद मलबा एकत्र हो जाता है।
जब वर्ष 2002 में कटरा तक रेल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था तो इसी टनल की रुकावट इसे 12 सालों तक आगे खींचकर ले आई थी। दरअसल, इसमें पानी का रिसाव भी बहुत ज्यादा है। थोड़ी-सी बारिश होने पर आसपास की पहाड़ियों से मलबा टनल के बीच पहुंच जाता है।
यही नहीं, टनल से बाहर निकलते ही जो चढ़ाई शुरू होती है उस कारण ट्रेन हांफने लगती है। जम्मू-उधमपुर रेल लाइन पर भी कई स्थनों पर चढ़ाई वाले प्वॉइंटों पर ट्रेनें हांफ रही हैं जिसका परिणाम आए दिन यह हो रहा है कि इंजन जवाब दे जाते हैं।
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार उधमपुर रेल लाइन पर प्रतिमाह इंजनों के हांफने और फिर खराब होने के 5 से 7 मामले सामने आ रहे हैं।
जानकारी के लिए पंजाब से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते ही कठुआ के इलाके में भी ट्रेनें चढ़ाई के आरंभ होने से हांफने लगती हैं। हालांकि कठुआ में मालगाड़ियों को दोहरे इंजन की सेवाएं लेनी पड़ती हैं और अब यही जम्मू-उधमपुर ट्रैक पर भी हो रहा है।
वैसे उधमपुर-कटरा ट्रैक पर रेलों के परिचालन को खतरनाक भी माना जा रहा है। बताया जाता है कि इस अभी तक कमिश्ननर रेलवे सेफ्टी का सर्टिफिकेट भी नहीं मिला है जिसके बिना किसी रेल ट्रैक पर कोई रेल नहीं चल सकती।
जानकारी के मुताबिक, इस साल जनवरी महीने में कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने इस रूट का दौरा किया था और कई कमियों को उजागर किया था। उनके द्वारा उजागर की गई 2 सबसे खतरनाक कमियों में झज्जर के पुल पर मोड़ की कमी थी और इस टनल में तकनीकी खामियां भी थीं।
इसके बावजूद ट्रैक पर रेल दौड़ानी आरंभ की जा चुकी है और अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? इस पर सभी चुप्पी साधे बैठे हैं।