मिजो और इसराइल की जनजातियों के बीच आनुवांशिक संबंधों की तलाश में पिछले तीन दशकों से लगी एक महिला शोधर्कता को इन दोनों जनजातियों के बीच की कड़ी चीन में मिल गई।
लंबे समय से इसराइल की 10 लुप्त हो चुकी जनजातियों मे से एक मनेशा जनजाति के साथ मिजो जनजाति के अनुवांशिक संबंधों को तलाशने के काम में लगी शौकिया मिजो शोधर्कता जैइथानछुंगी को चीन के हुनान प्रांत के कैफैग में वह जनजाति मिली, जो खुद को मनेशा जनजाति का वंशज बताती है।
जैइथानछुंगी को चीन की इस जनजाति के बारे मे पहले से ही जानकारी थी, लेकिन पिछले साल नवंबर में वे पहली बार इस जनजाति के लोगों से मिलीं। छुंगी ने अपनी वर्षों की मेहनत के बाद मिली इस सफलता के बाद कहा कि ये लोग मिजो जनजाति की ही तरह खुद को मनेशा जनजाति का वंशज बताते हैं।
मनेशा जनजाति इजराइल की लुप्त हो चुकी 10 जनजातियों मे से एक है। चीन में रहने के बावजूद इन लोगों के नैन नक्श हमारे ही जैसे हैं। मिजो और इसराइली जनजातियों के बीच संबंध की तलाश में लगी जैइथानछुंगी ने अपनी पुस्तक 'मिजोशइसराइल आइडेंटिटी' में दावा किया था कि मिजो जनजाति के लोग सीधे तौर पर मनेशा जनजाति के वंशज हैं, जिन्होंने चीन की विशाल दीवार के निर्माण के दौरान देश छोड़ दिया था और वे भारत के पूर्वोत्तर हिस्से मिजोरम में आकर बस गए थे।
जैइथानछुंगी ने कहा कि इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं है कि कैफेंग की जनजाति और मिजो जनजाति दोनों के ही पूर्वज एक हैं। यह साफ है कि जिस समय हम लोगों ने चीन छोड़ा उस समय ये लोग वहीं बने रहे। यही वजह है कि लाखों वर्षों से चीन के समाज मे घुलेमिले होने के बावजूद कैफेग जनजाति के लोग अब भी कुछ यहूदी परंपराओं को निभाते हैं। (वार्ता)