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Navratri Story 2025: नवरात्रि पर्व की कहानी

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WD Feature Desk

, शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (11:42 IST)
Navratri Hindu mythology story: नवरात्रि का पावन पर्व, जो नौ रातों तक चलता है, शक्ति की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस उत्सव के केंद्र में एक शक्तिशाली और पौराणिक कथा है, महिषासुर नामक असुर का मां दुर्गा द्वारा वध। यह कहानी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है और धर्म की शक्ति हमेशा विजयी होती है।ALSO READ: Durga Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कन्या पूजन का महत्व
 
महिषासुर वध की कहानी:
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक बहुत ही शक्तिशाली और अहंकारी राक्षस था। उसने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से एक ऐसा वरदान प्राप्त किया था, जिसके अनुसार उसे कोई देवता, दानव या मनुष्य नहीं मार सकता था। यह वरदान मिलते ही उसका अहंकार और बढ़ गया और उसने तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) में हाहाकार मचा दिया।
 
उसने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया और उनके अधिकारों को छीन लिया। सभी देवता महिषासुर के अत्याचारों से त्रस्त होकर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के पास गए और उनसे मदद की गुहार लगाई।
 
देवताओं की दयनीय स्थिति देखकर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और अन्य सभी देवताओं ने अपनी-अपनी दैवीय शक्तियों को मिलाकर एक महाशक्ति का सृजन किया। यह महाशक्ति ही देवी दुर्गा कहलाईं। देवी दुर्गा के कई हाथ थे, जिनमें सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र दिए। भगवान शिव ने उन्हें त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, और अन्य देवताओं ने गदा, धनुष-बाण, तलवार जैसे शस्त्र दिए। शेर उनका वाहन बना।
 
देवी दुर्गा ने जब हुंकार भरी तो पूरा ब्रह्मांड गूंज उठा। महिषासुर ने जब यह देखा तो वह क्रोधित हो गया और अपनी विशाल सेना के साथ देवी से युद्ध करने निकल पड़ा। देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच लगातार नौ दिनों तक भयंकर युद्ध चला। महिषासुर अपनी मायावी शक्तियों से कभी भैंसा, तो कभी सिंह, और कभी हाथी का रूप बदलकर देवी को भ्रमित करने की कोशिश करता रहा। लेकिन देवी दुर्गा ने अपने दिव्य अस्त्रों और अपनी अदम्य शक्ति से उसके हर छल को नाकाम कर दिया।
 
नौवें दिन की समाप्ति पर, जब महिषासुर ने अंतिम रूप से भैंसे का रूप धारण किया, तब देवी दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसके हृदय पर वार किया और उसका वध कर दिया। इस प्रकार नवरात्रि का पर्व अधर्म पर धर्म की, बुराई पर अच्छाई की और अहंकार पर विनम्रता की जीत का प्रतीक बन गया।
 
इसके अगले दिन, यानी दसवें दिन, को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा ने विजय प्राप्त की थी। नवरात्रि का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की शक्ति के सामने वह हमेशा पराजित होती है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की तिथि, मुहूर्त, घट स्थापना, पूजा विधि, व्रत नियम और महत्व

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