Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पुरुषोत्तम मास : दान-पुण्‍य का महीना

पाप कर्मों का क्षय करता है अधिक मास

Advertiesment
हमें फॉलो करें अधिक मास
FILE

धार्मिक शास्त्र और पुराणों के अनुसार हर तीसरे साल अधिक मास यानी पुरुषोत्तम मास की उत्पत्ति होती है। इस मास में भगवान विष्णु का पूजन, जप, तप, दान से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। खास तौर पर भगवान कृष्‍ण, भगवद्‍गीता, श्रीराम की आराधना, कथा वाचन और विष्‍णु भगवान की उपासना की जा‍ती है। इस माह भर में उपासना करने का अपना अलग ही महत्व माना गया है।

पुराण कहते हैं कि पुरुषोत्तम मास में कथा पढ़ने, सुनने से बहुत लाभ प्राप्त होता है। इस माह में जमीन पर शयन करना, एक ही समय भोजन ग्रहण करने से मनुष्य को अनंत फल प्राप्त होते हैं। सूर्य की बारह संक्रांति के आधार पर ही वर्ष में 12 माह होते हैं। प्रत्येक तीन वर्ष के बाद यह अधिक मास आता है।

webdunia
FILE
भारतीय पंचांग के अनुसार सभी नक्षत्र, तिथियां-वार, योग-करण के अलावा सभी माह के कोई न कोई देवता स्वामी है, किंतु पुरुषोत्तम मास का कोई स्वामी न होने के कारण सभी मंगल कार्य, शुभ और पितृ कार्य इस माह में वर्जित माने जाते हैं।

अधिक मास उपवास, दान धर्म, पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन और ध्यान करने से मनुष्य के पाप कर्मों का क्षय होकर उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। पुरुषोत्तम मास में दान किया गया एक रुपया भी आपको सौ गुना फल देता है। इसलिए अधिक मास के महत्व को ध्यान में रखकर इस माह दान-पुण्य देने का बहुत महत्व है।

इस माह धार्मिक तीर्थस्थलों पर जाकर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति और अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। पुरुषोत्तम मास का अर्थ जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह अधिक मास कहलाता होता है। इनमें खास तौर पर सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित माने गए है, लेकिन धार्मिक कर्म के लिए यह माह पुण्य फलदायी माना गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi