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श्रीनगर दरगाह में अशोक चिह्न तोड़ने पर बढ़ा विवाद, FIR दर्ज, मामले में कूदे CM अब्दुल्ला

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , शनिवार, 6 सितम्बर 2025 (18:53 IST)
Srinagar Jammu Kashmir News : विवाद के तूल पकड़े जाने पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़े जाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि इस मुद्दे पर बवाल मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के भी बीच में कूद जाने के बाद और बढ़ गया है। इससे पहले शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने हजरतबल दरगाह के अंदर उद्घाटन पत्थर पर अशोक चिह्न लगाने पर आपत्ति जताते हुए उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। उमर ने कहा कि पहला सवाल यह है कि क्या वहां ऐसी पट्टिका लगाई ही जानी चाहिए थी। मैंने पहले कभी किसी धार्मिक संस्थान या किसी समारोह में इस प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल होते नहीं देखा।

सूत्रों ने को बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर संख्या 76/2025 के तहत नगीन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने हजरतबल दरगाह के अंदर उद्घाटन पत्थर पर अशोक चिह्न लगाने पर आपत्ति जताते हुए उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना था कि यह चिह्न इस्लामी सिद्धांतों के विरुद्ध है और इसे दरगाह में नहीं रखा जाना चाहिए।
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मामले ने और तूल उस समय पकड़ लिया जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मामले में कूदते हुए कहा कि यह प्रतीक चिह्न सरकारी समारोहों में इस्तेमाल होता है, धार्मिक स्थलों पर नहीं। इसे दरगाह हजरतबल में प्रदर्शित करने के लिए नहीं बनाया गया था। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वक्फ बोर्ड को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की अपनी गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए थी।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को हजरतबल दरगाह पर प्रतीक चिह्न लगाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी और इस गलती का बचाव करने के बजाय इसे स्वीकार किया जाना चाहिए था। अनंतनाग में उमर ने कहा कि पहला सवाल यह है कि क्या वहां ऐसी पट्टिका लगाई ही जानी चाहिए थी। मैंने पहले कभी किसी धार्मिक संस्थान या किसी समारोह में इस प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल होते नहीं देखा। फिर ऐसा पत्थर लगाने की क्या जरूरत थी? अगर काम अच्छा होता, तो लोग खुद ही उसे पहचान लेते।
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मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि हजरतबल दरगाह को उसका वर्तमान स्वरूप शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने दिया था, जिन्होंने पहचान के लिए कभी कोई पट्टिका या प्रतीक चिह्न नहीं लगाया। उमर ने कहा कि आज भी लोग उनके काम को बिना किसी नामपट्टिका के याद करते हैं। इससे पता चलता है कि पत्थर की कभी जरूरत नहीं पड़ी।

इस घटना के बाद जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरक्षां अंद्राबी ने इस घटना को दरगाह का घोर अपमान बताया और इसे आतंकवाद से कम नहीं बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से तत्काल गिरफ्तारी की अपील की और आरोप लगाया कि यह अराजकता राजनीतिक कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों द्वारा जानबूझकर फैलाई गई थी।
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जबकि श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने इसे एक पवित्र स्थान के अंदर अहंकार को बढ़ावा देने का प्रयास बताया, जबकि नेकां विधायक तनवीर सादिक ने कहा कि एक मूर्तिनुमा प्रतीक की स्थापना इस्लामी सिद्धांत तौहीद के विपरीत है।
Edited By : Chetan Gour

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