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नसबंदी ऑपरेशन नहीं, चूहानाशक ने ली महिलाओं की जान!

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बिलासपुर , शनिवार, 15 नवंबर 2014 (07:45 IST)
बिलासपुर। एक चौंकाने वाले खुलासे के तहत राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि जिंक फास्फाइड मिश्रित दवाएं उन 13 महिलाओं की मौत का कारण हो सकती हैं जिनका बिलासपुर जिले में नसबंदी का ऑपरेशन किया गया था। गौरतलब है कि जिंक फॉस्फाइड का इस्तेमाल चूहे मारने की दवा के तौर पर किया जाता है।
 
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने यहां अपोलो अस्पताल में प्रभावित महिलाओं को देखने के बाद कहा, 'प्रथम दृष्टया यह कहा जा सकता है कि महिलाओं की हालत जिंक फॉस्फाइड मिश्रित दवाएं खाने के बाद बिगड़ी। महिलाओं में जो लक्षण दिखाई पड़े हैं वो आम तौर पर जिंक फॉस्फाइड खाने के बाद दिखते हैं। जिंक फॉस्फाइड का इस्तेमाल आम तौर पर चूहे मारने की दवाओं में किया जाता है।'
 
पेंडारी और गौरेला शिविरों में प्रक्रिया के बाद महावर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार की जाने वाली सिप्रोसिन-500 टैबलेट महिलाओं को खाने के लिए दी गई थी।
 
रायपुर में कंपनी की निर्माण इकाई पर छापे के दौरान वहां चूहे मारने की दवाएं पाई गईं। चूहों को मारने के लिए आम तौर पर जिंक फॉस्फाइड का इस्तेमाल किया जाता है।
 
दवाओं के नमूने जांच के लिए कोलकाता, दिल्ली और नागपुर के लैब में भेजे गए हैं जबकि दवाएं खाने के बाद मरने वाली महिलाओं के विसरा नमूने भी जांच के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने कहा, 'पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही हम इस ठीक-ठीक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि किस वजह से मौत हुई।'
 
उन्होंने कहा कि महावर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार तकरीबन 43.34 लाख विभिन्न घटिया दवाओं की टैबलेट बरामद की गईं। इसमें एंटीबायोटिक और पेन किलर भी शामिल है। जब्त की गई दवाओं में सिप्रोसिन-500 की दो लाख टैबलेट भी शामिल है।
 
उन्होंने कहा, 'फिलहाल बिलासपुर के विभिन्न अस्पतालों में 122 महिलाओं का इलाज चल रहा है जिसमें से 61 को अपोलो में भर्ती कराया गया है जबकि 37 को सीआईएमएस और 24 को जिला अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।' (भाषा)

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