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सबरीमाला में दिखा 'दिव्य प्रकाश पुंज'

हमें फॉलो करें सबरीमाला में दिखा 'दिव्य प्रकाश पुंज'
- अनुपमा जैन

सबरीमाला। पश्चिमी घाट में पहाड़ियों की श्रृंखला सह्याद्रि के भीतर घने जंगलों, ऊंची पहाड़ियों पर बसा भगवान अयप्पा मंदिर...सूर्य अस्त हो रहा था और ढलती शाम में आकाश में एक 'दिव्य प्रकाश पुंज' दिखा और इसके दिखते ही घना जंगल लाखों श्रद्धालुओं के कंठों से ‘स्वामियाए अयप्पा’ के जयघोष से गूंज उठा। 
मौक़ा था, तीर्थ सबरीमाला की दो महीने लंबी तीर्थयात्रा के बाद जब श्रद्धालुओं को क्षितिज पर तीन बार आकाशीय दिव्य प्रकाश पुंज के दर्शन हुए और इसके दर्शन होते ही लाखों श्रद्धालुओं के ‘स्वामियाए अयप्पा’ के जयकार से गूंज उठा। दिव्य ज्योति के दर्शन के बाद तीर्थयात्री इस कठिन तीर्थ यात्रा के परिणीति के बाद चेहरे पर आत्मसंतुष्टि के भाव के साथ घर वापस लौटने लगे। 
 
केरल में भगवान अयप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है, प्रत्येक साल चौदह जनवरी को संक्रामम (सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायणन की ओर जाना) मंदिर का सबसे प्रमुख उत्सव है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को आने की वजह से यह पर्व कल यानी शुक्रवार को मनाया गया। इस मौके पर कल सबरीमाला में और पास की पहाड़ियों पर तिल रखने की जगह नहीं थी। हर तरफ श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आ रहे थे।
 
पूरा मंदिर भव्य रूप रूप से फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया गया था। कल मंदिर के पट खुलने के बाद प्रात: भगवान अयप्‍पा का रुद्राभिषेक हुआ। इसके बाद सबसे पहले सुबह श्री गणपति पूजा, फिर उषा पूजा, इसके बाद रुद्राभिषेक एवं अयप्‍पा पूजा की जाती है। दोपहर में मध्यान्ह पूजा और शाम को मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से थालापोली कार्यक्रम में गजराज पर भगवान अयप्‍पा की सवारी प्रारंभ की जाती है, जो शोभायात्रा मानव मंदिर पहुंचती है। यहां पर मानव मंदिर में मकरराविलक्कु अयप्‍पा मंदिर में पूजा आयोजित की जाती है। 
 
सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। वही रामायण वाली शबरी जिसने भगवान राम को जूठे फल खिलाए थे और राम ने उसे नवधा-भक्ति का उपदेश दिया था। इस मौके पर निकलने वाली परंपरागत शोभायात्रा की अगुआई कल राजघराने के प्रतिनिधि परिवार में मृत्यु की वजह से नहीं कर सके। 
 
मंदिर में अद्भुत दृश्य था, श्रद्धालु शाम होने के पहले ही इस दैवीय दर्शन के लिए इकट्ठा होने लगे थे। कुछ मिनट के अंदर ही क्षितिज पर तीन बार रोशनी नजर आई और हर्षोल्लास से भक्तों के जयकार से घना जंगल गूंज उठा और दीप-आराधना, प्रसाद वितरण के बाद रंगीन आतिशबाजी से घने जंगल का पूरा आकाश सतरंगी रोशनी से नहा उठा।
 
बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है, इसके साथ शोर भी सुनाई देता है। कहा जाता है की मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखने वाले एक खास तारा मकर ज्योति है। भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे जलाते हैं। सबरीमाला की तीर्थयात्रा पर आने वाले 'व्रतधारी तीर्थयात्रियों' को इकतालीस दिनों का कठिन व्रत का पालन करना होता है, जिसके तहत उन्हें कठिन नियम व्रत पालन करना होता है। 
 
मंदिर नौ सौ चौदह मीटर की ऊंचाई पर है और केवल पैदल यात्रा से ही वहां पहुंचा जा सकता है। यहां सबसे पहले भगवान अयप्‍पा के दर्शन होते हैं, ऐसा माना जाता है कि इन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया था और सबरीमाल में इन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ग्रंथों के अनुसार, अयप्‍पा का एक नाम 'हरिहरपुत्र' है। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव के पुत्र। 
 
हरि के मोहनी रूप को ही अयप्‍पा की मां माना जाता है। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। इतिहासकारों के मुताबिक, पंडालम के राजा राजशेखर ने अयप्‍पा को पुत्र के रूप में गोद लिया, लेकिन भगवान अयप्‍पा को ये सब अच्छा नहीं लगा और वो महल छोड़कर चले गए। 
 
आज भी यह प्रथा है कि हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर पंडालम राजमहल से अयप्पा के आभूषणों को संदूकों में रखकर एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। जो नब्बे किलोमीटर की यात्रा तय करके तीन दिन में सबरीमाला पहुंचती है। इसी दिन यहां की पहाड़ी की कांतामाला चोटी पर असाधारण चमक वाली यह ज्योति दिखलाई देती है।
 
मकर संक्रांति का मकर विलक्कू और अगले दिन आयोजित मंडलम सबरीमाला के प्रमुख उत्सव हैं। मलयालम पंचांग के पहले पांच दिनों और विशु माह यानी अप्रैल में ही इस मंदिर के पट खोले जाते हैं। उत्सव के दौरान भक्त घी से प्रभु अयप्पा की मूर्ति का अभिषेक करते हैं। इस मंदिर में सभी जाति के लोग जा सकते हैं।
 
लेकिन दस साल से पचास साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर मनाही है। भगवान अयप्पा मंदिर की मध्य नवंबर से तीर्थयात्रा शुरू हो जाती है। औसतन नवंबर से जनवरी के बीच करीब चार करोड़ भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन करने आते हैं और इस दौरान यहां करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है। मंदिर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। (वीएनआई)

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