Dharma Sangrah

पापों से मुक्ति दिलाता है अधिक मास

अधिक मास में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें

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पुरुषोत्तम मास तीन साल में एक बार आता है। इसे स्वयं भगवान ने अपने नाम से जोड़ा था। यह मास धर्म और पुण्य कार्य करने के लिए सर्वोत्तम होता है क्योंकि इस माह में पूजन-पाठ करने से अधिक पुण्य मिलता है। इस माह में श्राद्ध, स्नान और दान से कल्याण होता है।

अधिक मास में किए विधि-विधान के साथ जाने वाले धर्म-कर्म से करोड़ गुना फल मिलता है। पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए इस मास में पुण्य कर्म करना चाहिए।

इस संसार में मनुष्य माया से मुक्ति पाने के लिए जीवन भर भटकता रहता है पर उसे मुक्ति नहीं मिलती। जिस क्षण श्रीमद्भागवत व भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्‍णु के प्रति उसके मन में भाव जागता है, उसी क्षण माया से मुक्ति मिल जाती है। भगवान की भक्ति में लीन होकर प्राणी पापों से मुक्ति पाकर अपना लोक और परलोक दोनों सुधार लेता है।

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पुरुषोत्तम मास में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और गणपति अथर्वशीर्ष मनुष्य को पुण्य की ओर ले जाते हैं। भागवत कथा व पुरुषोत्तम मास का संयोग भी अपने आप में बहुत दुर्लभ है। कहते हैं कि स्वर्ग में सब कुछ मिल सकता है, पर भागवत कथा नहीं। भगवान मिल जाएंगे, लेकिन भगवान की कथा नहीं। अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु ने मानव के पुण्य के लिए ही बनाया है।

पुराणों में उल्लेख है कि जब हिरण्य कश्यप को वरदान मिला कि वह साल के बारह माह में कभी न मरे तो भगवान ने मलमास की रचना की। जिसके बाद ही नृसिंह अवतार लेकर भगवान ने उसका वध किया। इस माह में भगवान विष्णु के नाम का जाप करना ही हितकर होता है। इस जाप से ही पापों से मुक्ति मिलती है।

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