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अब काव्यात्मक हॉकी का लुत्फ उठाइए

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भोपाल (वार्ता) , गुरुवार, 27 दिसंबर 2007 (14:31 IST)
फिल्म चक दे इंडिया के बाद हॉकी खेल की लोकप्रियता और आकर्षण में वृद्धि के दावों के बीच एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी ने कुछ इसी इरादे से हॉकी को काव्यात्मक अंदाज में ढाला है।

हॉकी और कविताओं के बीच यूँ तो कोई साम्य नजर नहीं आता है, लेकिन भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के वरिष्ठ हॉकी कोच प्रेमशंकर शुक्ला की भावनाएँ कागज पर उतर कर उनकी पहली पुस्तक पोएटिक हॉकी (काव्यात्मक हॉकी) के रूप में सामने आई हैं।

शुक्ला ने कहा कि इस पुस्तक के किताब के रूप में सामने आने और इस खेल तथा इससे जुड़े लोगों के संबंध में अपनी भावनाएँ और चिंता को कविता के रूप में उकेरने के बाद मैं बहुत संतोष का अनुभव कर रहा हूँ। मैं भविष्य में भी साधारण भाषा में लिखना जारी रखूँगा।

उन्होंने कहा कि यह हॉकी प्रेमियों के इस खेल से जुडे लगाव को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों के उत्साह में वृद्धि का प्रयास है, जिससे कि वे बड़ी स्पर्धाओं में देश के लिए स्वर्ण पदक लाने के लिए प्रेरित हो सकें।

भारतीय वायुसेना के इस पूर्व कर्मचारी ने एक दुखद घटनाक्रम से प्रेरित होकर कविताओं की तरफ रूख किया। कैंसर की अंतिम अवस्था से जूझने वाले अपने मित्र और ओलंपियन विवेकसिंह को कुछ अनूठा उपहार देने की सोच के चलते उन्होंने विवेक पर एक कविता लिख कर 2004 में उसे भेंट की।

जैसा कि नाम से जाहिर है पोएटिक हॉकी विशुद्ध रूप से इसी खेल पर केंद्रित कविताओं का संग्रह है। इसमें हॉकी कोचिंग, अंपायरिंग, ड्रिबलिंग, लर्निंग हिट, गोल, स्कोरिंग, गोलकीपिंग और हॉकी में महारत हॉसिल करने की तरकीबों पर केंद्रित कविताएँ हैं।

काव्य संग्रह में दिग्गज हॉकी खिलाड़ियों मेजर ध्यानचंद (ओलंपियन), अहमद शेर खान (पदमश्री) बलबीरसिंह सीनियर (द्रोणाचार्य), राजेंद्रसिंह (द्रोणाचार्य), जीएस भांगु, खेल रत्न धनराज पिल्लै और अंतरराष्ट्रीय कोच एके बंसल का भी उल्लेख है। इनके अलावा पुस्तक में कई विदेशी हॉकी खिलाड़ियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर की हॉकी स्पर्धाओं का भी जिक्र है।

एक प्रश्न के उत्तर में शुक्ला कहते हैं कि इस संग्रह को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया सामने आई है और उनके मित्रों, सहयोगियों, अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों ने सराहना के साथ उन्हें निरंतर लिखने के लिए प्रेरित किया है।

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