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24 कंपनियों ने जुटाए 45,000 करोड़, IPO बाजार के लिए कैसे रहे 2025 के पहले 6 माह?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मुंबई , रविवार, 20 जुलाई 2025 (13:02 IST)
IPO news in hindi : वैश्विक व्यापार अड़चनों, भू-राजनीतिक संघर्ष और व्यापक आर्थिक चिंताओं के बावजूद 2025 की पहली छमाही में कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिये 45,350 करोड़ रुपए जुटाए हैं। 2024 की पहली 6 माही की तुलना में यह 45 प्रतिशत अधिक है। ALSO READ: शेयर बाजार में बिकवाली का जोर, निफ्टी 25,000 से नीचे, क्यों बिगड़ी बाजार की चाल?
 
मर्चेंट बैंकर द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024 की जनवरी-जून अवधि में 36 आईपीओ आए थे, इस वर्ष आईपीओ की संख्या घटकर 24 रह गई, जो थी। हालांकि इन 36 कंपनियों ने 31,281 करोड़ रुपए जुटाए थे।
 
विशेषज्ञों का कहना है कि आगे चलकर घरेलू निवेश के मजबूत प्रवाह, सकारात्मक निवेशक धारणा और मजबूत वृद्धि की संभावना के कारण 2025 की दूसरी छमाही में आईपीओ बाजार के सतर्क रूप से मजबूत बने रहने की उम्मीद है।
 
जेएम फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशनल सिक्योरिटीज की प्रबंध निदेशक और प्रमुख इक्विटी कैपिटल मार्केट्स नेहा अग्रवाल ने कहा कि साल की पहली छमाही में वैश्विक व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और व्यापक आर्थिक चुनौतियों के कारण बाजार की धारणा प्रभावित हुई। इन चिंताओं के बावजूद, कंपनियों ने इस अवधि के दौरान आईपीओ के माध्यम से 45,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई है।
 
इस गति को बढ़ाते हुए 2025 की पहली छमाही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास कुल 118 कंपनियों ने आईपीओ के लिए शुरुआती दस्तावेज दाखिल किए हैं। यह 2024 की इसी अवधि के 52 के आंकड़े से अधिक हैं।
 
जनवरी-जून, 2025 के दौरान, 24 मुख्य एक्सचेंज के आईपीओ आए जिसमें से 67 प्रतिशत निर्गम मूल्य पर बढ़त के साथ सूचीबद्ध हुए। आईपीओ का कुल प्रदर्शन मजबूत रहा, जिससे निवेशकों को लगभग 25 प्रतिशत का औसत रिटर्न मिला।
 
2025 में आए बड़े IPO : इस अवधि के दौरान आए प्रमुख आईपीओ में एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज (12,500 करोड़ रुपए), हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज (8,750 करोड़ रुपए), श्लॉस बेंगलूर (3,500 करोड़ रुपए) और एथर एनर्जी (2,981 करोड़ रुपए) शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर आईपीओ में नए शेयर जारी करने के साथ प्रवर्तकों द्वारा बिक्री पेशकश (OFS) लाई गई।
 
आईपीओ मार्ग से धन जुटाने वाली कंपनियों में से अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों मसलन विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र से संबंधित थीं। इस राशि का उपयोग कंपनियों ने मुख्य रूप से व्यावसायिक विस्तार योजनाओं के वित्तपोषण, कर्ज चुकाने और कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta 

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