इस पुस्तक में यह जिक्र किया गया है कि नौगांव स्थित एजेंसी की एक सीआईडी रिपोर्ट के अनुसार 4 सितंबर 1929 को छतरपुर से पन्ना जाने वाले मार्ग पर केन नदी के उस पार पांडव प्रपात नामक वनाच्छादित स्थल पर चन्द्रशेखर आजाद की अध्यक्षता में क्रांतिकारियों की बैठक हुई थी जिसका आयोजन पं. रामसहाय तिवारी ने किया था।
इस बैठक में नारायणदास खरे, प्रेम नारायण, बिहारीलाल व जयनारायण सहित 13 क्रांतिकारियों ने भाग लिया था। उक्त सीआईडी रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक का उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत को उखाड फेंकना तथा शासन के शीर्षस्थ अधिकारियों की हत्या कर देना था। इस बैठक की सूचना पन्ना दरबार को प्रभुदयाल नामक चरवाहे द्वारा दी गई थी।
भारत के स्वाधीनता आंदोलन से जुडे़ ऐतिहासिक महत्व का यह मनोरम स्थल अब पन्ना टाइगर रिजर्व के अंतर्गत है। यहां 30 मीटर की ऊंचाई से प्रपात का पानी गिरकर रमणिक माहौल बनाता है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि पौराणिक पांडवों ने इस प्रपात के किनारे बनी गुफाओं में कुछ समय तक निवास किया था।
इसी के आधार पर इस प्रपात का नाम पांडव प्रपात पडा़। बारिश के मौसम में जब पन्ना टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार पर्यटकों के लिए बंद हो जाते है। उस समय भी यह प्रपात देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए खुला रहता है। यहां के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। (वार्ता)