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सूडान में महिलाएं, भूख, बमबारी और यौन हिंसा की चपेट में

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हमें फॉलो करें Women in Sudan suffer hunger

UN

, बुधवार, 12 नवंबर 2025 (15:44 IST)
हिंसक टकराव से बेहाल सूडान में बलात्कार को युद्ध के एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल में लाया जा रहा है और पीने के लिए पानी, आग जलाने के लिए लकड़ी जुटाने या फिर भोजन पाने की क़तार में खड़े होते समय महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाए जाने की घटनाएं हुई हैं। स्वास्थ्य देखभाल के अभाव में अनेक महिलाओं ने मजबूरी में सड़कों पर ही बच्चों को जन्म दिया है।
 
लैंगिक समानता के लिए यूएन एजेंसी (UN Women) ने नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त के अल फ़शर शहर में व्याप्त भयावह हालात पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है। पूर्व व दक्षिणी अफ़्रीका के लिए क्षेत्रीय निदेशक ऐना मुतावती ने मंगलवार को जिनीवा में जानकारी देते हुए कहा कि अस्पतालों के तबाह हो जाने के बाद गर्भवती महिलाओं को सड़कों पर ही प्रसव पीड़ा से गुज़रना पड़ा है।
ऐना मुतावती ने कहा कि अल फ़शर में फंसी महिलाओं के लिए हर एक क़दम पर यौन हिंसा का जोखिम पसरा हुआ है। जल भरने, आग के लिए लकड़ी जुटाने, खाद्य सामग्री की पंक्ति में खड़े होने या अन्य किसी कार्य के लिए जो भी क़दम उठाया है, उसमें यौन हिंसा की आशंका बहुत अधिक थी। ये साक्ष्य बढ़ रहे हैं कि बलात्कार को जानबूझकर, व्यवस्थित ढंग से युद्ध के एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल में लाया गया।
 
सूडान में नागरिक शासन की बहाली के मुद्दे पर व्याप्त मतभेदों की वजह से सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच अप्रैल 2023 में भीषण लड़ाई भड़क उठी थी, जिसमें बड़े पैमाने पर समुदाय तबाह हुए हैं, लाखों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हैं और देश एक गहरे मानवीय संकट का सामना कर रहा है।
RSF लड़ाकों ने 500 दिनों से अधिक समय की घेराबन्दी के बाद नॉर्थ दारफ़ूर की राजधानी अल फ़शर को अपने क़ब्ज़े में ले लिया, जिसके बाद वहां यौन हिंसा, अत्याचारों, बिना सुनवाई के ही लोगों को जान से मार दिए जाने की घटनाओं की ख़बरें हैं। वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हिंसक टकराव के दौरान बलात्कार व यौन हिंसा के अन्य रूपों को युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध और जनंसहार का एक घटक होने की श्रेणी में रखे जाने की बात कही थी।
 
कोई स्थान सुरक्षित नहीं
महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था की प्रतिनिधि ने कहा कि जैसे-जैसे लड़ाई का दायरा फैल रहा है, हालात और बिगड़ते जा रहे हैं और लोग सामूहिक विस्थापन के लिए मजबूर हैं। हज़ारों महिलाओं व लड़कियों ने अल फ़शर से 70 किलोमीटर दूर स्थित तवीला समेत नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त के अन्य हिस्सों का रुख़ किया है, मगर वहां मानवीय सहायता की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने सोमवार को बताया था कि 89 हज़ार से अधिक लोग अल फ़शर से भाग चुके हैं, जिनमें से अनेक लोगों ने सूडान-चाड की सीमा पर शरण ली है। यूएन वीमैन की प्रतिनिधि ने आगाह किया कि महिलाओं के शरीर अब एक अपराध स्थल बन चुके हैं और उनके लिए ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां वे संरक्षण या मनोसामाजिक देखभाल सेवाओं को हासिल कर सकें।
 
बुनियादी गरिमा भी ध्वस्त हो चुकी है। नॉर्थ दारफ़ूर में सैनिट्री तौलिए का एक पैकेट 27 डॉलर का बिक रहा है, जबकि औसतन छह सदस्यों वाले एक परिवार को फ़िलहाल प्रतिमाह 150 डॉलर की ही मदद मिल पा रही है। इन परिस्थितियों में महिलाएं भोजन, दवा, निजी गरिमा के बीच विकल्प चुनने के लिए मजबूर हैं। महिलाओं व लड़कियों की अपनी आवश्यकताएं इस सूची में बहुत नीचे हैं।
 
यूएन अधिकारी ने कहा कि जिस तरह अन्य संकटों में देखा जाता रहा है, महिलाएं व लड़कियां सबसे कम खाती हैं, सबसे आख़िर में भोजन करती हैं या फिर कभी-कभी तो भूखे पेट ही रह जाती हैं, ताकि उनके बच्चे खाना खा सकें। इन परिस्थितियों में महिलाओं व नवजात शिशुओं के कुपोषण का शिकार होने के मामले बढ़ रहे हैं।
ऐना मुतावती के अनुसार, यौन हिंसा के जोखिमों के बावजूद दारफ़ूर और कोर्दोफ़ान के दूरदराज़ के इलाक़ों में महिलाएं व लड़कियां अक्सर जंगली पत्तियों या अन्य खाद्य सामग्री की तलाश में जुटी रहती हैं।
 
हिंसा का अंत करने की अपील
यूएन एजेंसी प्रतिनिधि ऐना मुतावती ने सूडान में लड़ाई पर तत्काल विराम लगाए जाने और ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय सहायता पहुंचाए जाने की अपील की है। साथ ही महिलाओं की अगुवाई में रसोई और अन्य प्रकार की सहायता की व्यवस्था की जानी होगी।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सूडान में महिलाओं व लड़कियों की स्थिति हमारी साझा मानवता का पैमाना तय करेगी। हर दिन, दुनिया सूडान मुद्दे पर क़दम उठाने में जितनी देर करेगी, एक और महिला गोलीबारी के बीच जन्म देने या अपने बच्चे को भूख में दबाने या बिना न्याय के ही ग़ायब हो जाने के लिए मजबूर होगी।

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