कठपुतली में अक्षय कुमाऱ रकुल प्रीत सिंह, सरगुन मेहता लीड रोल में हैं। यह तमिल फिल्म रत्सासन का हिंदी रीमेक है।
कठपुतली एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने सीरियल किलर पर कहानी लिखी है और बाद में पुलिस में भर्ती होकर सीरियल किलर को ढूंढ रहा है।
कठपुतली का राइटिंग डिपार्टमेंट कमजोर है। स्क्रीनप्ले में कई ऐसी बातें हैं जो दर्शकों को बिलकुल भी नहीं पचती।
किलर को ढूंढने का जो ट्रैक है उसमें न तनाव है और न ही थ्रिल। किलर ऐसा क्यों कर रहा है, इस राज से परदा उठाया जाता है तो कोई रोमांच पैदा नहीं होता।
ऊपर से फिल्म में रोमांस, गाना और फैमिली ड्रामा वाले दृश्य भी डाल दिए गए हैं जो बिलकुल फिट नहीं लगते।
रंजीत एम. तिवारी का निर्देशन औसत दर्जे का है। ड्रामे को वे मनोरंजक नहीं बना पाए।
अक्षय कुमार का काम औसत है। रकुल को प्रभावी सीन नहीं मिले। सरगुन मेहता और चंद्रचूड़ सिंह अपने किरदारों में मिसफिट नजर आए।
कुल मिलाकर कठपुतली ऐसी थ्रिलर मूवी है जिसमें बिलकुल थ्रिल नहीं है। कठपुतली को 1.5 स्टार।