हिन्दू शास्त्रों और आयुर्वेद में भोजन के संबंध में बहुत कुछ लिखा है जिनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। आइए जानते हैं आपकी डाइट साल के 12 महीने कैसी होनी चाहिए...
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माघ में आपको गरम खाना, खाना चाहिए। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू इस मैसम में खाना चाहिए।
फाल्गुन में गुड़ और चने का उपयोग करें, सुभे जल्दी उठकर योग और व्यायाम करें।
चैत्र हिन्दू कैलेंडर का प्रथम माह है। इस महीने में भी गुड़ का सेवन करें, ये कई बीमारियों से बचाता है। साथ ही नीम की पत्तियों का सेवन करें।
वैशाख में गर्मी शुरू होती है, बेलपत्र का इस्तेमाल जरूर करें। इस माह में तेल व तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए।
ज्येष्ठ के महीने में बहुत गर्मी रहती है, जिसमें दोपहर में सोना सेहत के लिए अच्छा है, ठंडी छांछ, लस्सी, ज्यूस और पानी पिएं। बासी और गर्म खाने से दूर रहें।
आषाढ़ महीने में आम, पुराने गेहूं, सत्तु, जौ, भात, ककड़ी, करेला, बथुआ और ठंडी चीजें खाना चाहिए।
श्रावण में हरड का इस्तेमाल जरूर करें। हल्के सुपाच्य भोजन को अपनाएं।
भाद्रपद के महीने में हल्का और कम खाना खाएं। इन दो महीनों में छाछ, दही और इससे बनी चीजें नहीं खाना चाहिए।
आश्विन में दूध, घी, गुड़, नारियल जरूर खाएं। इस महीने में गरिष्ठ खाना पांच जाता है। क्वार माह में करेला खाना मना है।
कार्तिक महीने में गर्म दूध, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करें। कार्तिक माह में बैंगन, दही जीरा और ठंडा पीना बिल्कुल छोड़ दें।
अगहन महीने में इस समय में भोजन में जीरे का उपयोग नहीं करना चाहिए। तेल का उपयोग कर सकते हैं। ठंडा खाना-पीना छोड़ दें।
पौष माह में दूध पी सकते हैं लेकिन धनिया नहीं खाना चाहिए क्योंकि धनिए की प्रवृति ठंडी मानी गई है और सामान्यत: इस मौसम में बहुत ठंड होती है।