फूटी कौड़ी से कैसे बना रुपया?

हमारे रोजमर्रा के जीवन में "रुपया" शब्द बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? आइए जानें...

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पुराने समय में, कौड़ी (एक प्रकार की समुद्री सीप) को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।

फूटी कौड़ी यानी बेकार या टूटी हुई मुद्रा। यह समाज में सबसे कम मूल्य की चीज का प्रतीक बन गई।

कौड़ी के बाद दमड़ी मुद्रा का चलन हुआ, जिसका मूल्य कौड़ी से थोड़ा ज्यादा था।

आज भी 'दमड़ी भर भी फायदा नहीं' जैसे मुहावरे में इसका जिक्र होता है।

फिर आया धेला, जिसका इस्तेमाल पुराने व्यापारिक समय की छोटी-छोटी खरीदारी के लिए किया जाता था।

धेला से पाई का चलन शुरू हुआ। पाई का मतलब था एक छोटी इकाई, जो बहुत छोटी लेकिन उपयोगी थी।

आज के समय में 'पाई-पाई का हिसाब रखना' जैसे मुहावरे, हर हिसाब को पूरा रखने के लिए इस्तेमाल होते हैं।

इसके बाद पाई से ज्यादा मूल्यवान और व्यापार में बड़ी भूमिका निभाने वाला पैसा आया, जो आज भी हमारी करेंसी का हिस्सा है।

पैसे के बाद, ब्रिटिश शासन के दौरान, 'आना' बहुत प्रचलित हुआ। 1 रुपया = 16 आने हुआ करता था। जिससे 'सोलह आने सच' जैसे मुहावरे बने।

इन सभी इकाइयों के बाद 'रुपया' का जन्म हुआ। 1540 में शेरशाह सूरी ने चांदी के सिक्के को 'रुपया' नाम दिया। संस्कृत के 'रूप्यक' से यह नाम आया।

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