पीएम मोदी भारत मंडपम में जिस जगह मेहमानों का स्वागत कर रहे थे उसी के बैकग्राउंड में कोणार्क चक्र भी बना हुआ है, चलिए जानते हैं इस चक्र के बारे में

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कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हा देव प्रथम के शासनकाल में किया गया था।

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सूर्य मंदिर के रथ के इन चक्रों से आज भी समय की सटीक गणना की जाती है।

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कोणार्क चक्र की घूमती गति समय, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है।

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इतना ही नहीं ये चक्र लोकतंत्र के पहिए के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

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रथ में 12 जोड़ी चक्र दिन के चौबीस घंटों को दर्शाते हैं, वहीं इनमें लगी 8 ताड़ियां दिन के आठों प्रहर का प्रतीक स्वरूप है।

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ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के वास्तुकारों ने धूपघड़ी बनाने के लिए खगोल विज्ञान के अपने ज्ञान का उपयोग किया था।

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इसका डिजाइन जटिल गणितीय गणनाओं पर आधारित है जो पृथ्वी के घूमने, सूरज, चांद और सितारों की गतिविधियों को ध्यान में रखता है।

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