कर्नाटक में बढ़ रहा मंकी फीवर, जानें लक्षण और बचाव

कर्नाटक में इन दिनों मंकी फीवर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आइए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव...

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मंकी फीवर को kyasanur forest disease (KFD) के रूप में भी जाना जाता है।

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यह बीमारी मुख्य रूप से जंगली इलाकों में बंदर, लंगूर और बोनट मकाक को संक्रमित टिक्स के काटने से फैलती है।

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जब संक्रमित बंदर जंगली इलाकों से गुजरते हैं, तो इस वायरस को अपने साथ अन्य टिक्स में ट्रांसफर करते हैं।

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संक्रमित टिक के काटने या संक्रमित जानवरों के खून या टिश्यूज के संपर्क से मनुष्य इससे संक्रमित हो सकते हैं।

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हालांकि, इस बीमारी का इंसानों से इंसानों तक फैलना दुर्लभ है।

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मंकी फीवर के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और ब्लीडिंग की आदि शामिल हैं।

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गंभीर मामलों में नर्वस सिस्टम संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं।

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इस बीमारी के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। वैक्सीनेशन और टिक से बचाव के कारण इसे रोका जा सकता है।

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टिक्स से बचने के लिए लंबी बाजू वाले कपड़े, पैंट और बंद जूते पहनें। संक्रमित एरिया में जाने से बचें।

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