8 अगस्त 1942 को पूरे देश में 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत हुई। चलिए जानते हैं इससे जुड़े ज़रूरी तथ्य
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मुंबई में हुई रैली के दौरान ही महात्मा गांधी ने अपने भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया था।
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बलिया में आंदोलनकारियों पर मशीन गनों से गोलियां बरसाई गईं।
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अगस्त 1942 से दिसंबर 1942 तक पुलिस और सेना ने प्रदर्शनकारियों पर 538 बार गोलियां चलाईं।
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पंडित नेहरू के अनुसार इस घटना में मारे गए लोगों की संख्या 10,000 से ऊपर थी।
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1942 में कई बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित 60,000 लोग गिरफ्तार किया गया था।
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आंदोलन का दूसरा हिस्सा अचानक से हिंसक हो गया। ब्रिटिश सरकार के छापेमारी से प्रदर्शनकारी हिसंक हो गए।
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इस दौरान 250 रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ हुई। 50 डाकखाने जला दिए गए और 200 तोड़े गए। 3500 जगह तार और फोन लाइनें काट दी गईं।
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अरुणा आसफ अली ने इस भारी भीड़ के सामने पहली बार भारत का झंडा फहराया जो आंदोलन के लिए एक प्रतीक साबित हुआ।
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