श्रावण मास के 10 रहस्य, जो व्रत करने के पहले जानना जरूरी

आषाढ़ माह के बाद सावन का माह प्रारंभ हो जाता है और तब चातुर्मास भी लग जाता है। व्रत करने के पहले जानें 10 जरूरी बातें।

सत्संग : इस माह में सत्संग का महत्व है। संतों से कथा और प्रवचनों को सुनना चाहिए।

व्रत : देवी सती ने दूसरे जन्म में कठोर व्रत करके शिवजी को प्राप्त किया था। सिर्फ सावन सोमवार ही नहीं, संपूर्ण माह ही व्रत रखा जाता है।

वर्जित भोजन : श्रावण माह में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता।

नियम : बाल और नाखून काटना, यात्रा, सहवास, वार्ता आदि कार्य करना वर्जित हैं।

उपाकर्म : श्रावणी उपाकर्म में- प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय हैं। इसे नदी के किनारे गुरु के सान्निध्य में करते हैं।

शिवपूजा : इस संपूर्ण माह में शिवजी की पूजा होती है। साथ ही नाग, पार्वती और गणेशजी की पूजा भी होती है।

वर्जित व्रत : खूब फरियाली, साबूदाने की खिचड़ी, फलाहार या राजगिरे की रोटी और भिंडी की सब्जी आदि खाकर व्रत नहीं करते हैं, नियम से करें।

जलाभिषेक : इस माह ज्योतिर्लिंगों का जलाभिषेक करने से जातक अश्वमेध यज्ञ के समान फल और शिवलोक को पाता है।

सोमवार व्रत : जिस कामना से कोई इस मास के सोमवारों का व्रत करता है, उसकी वह कामना अवश्य एवं अतिशीघ्र पूरी हो जाती है।

कावड़ यात्रा : नियमपूर्वक कावड़ यात्रा करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यात्रा नहीं, तो कावड़ यात्रियों की सेवा ही करें।

महर्षि वेद व्यास के अनमोल वचन

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