गंगाजल को कहां और किस दिशा में रखना चाहिए? साथ ही गंगाजल के 10 प्रयोग जानिए...
गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को मोक्षदायिनी और पापमोचनी नदी कहा जाता है।
गंगा के जल को घर में सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी या किसी स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।
गंगाजल को उत्तर या ईशान दिशा में पूजा घर में रखना चाहिए।
किसी के प्राण नहीं छूट रहे हैं और वह तड़प रहा है तो उसके मुंह में गंगाजल डालने से वह शांति से देह छोड़ देता है।
गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी। प्रयागराज हरिद्वार में।
गंगा का जल कभी कभी भी खराब नहीं होता है। घर में तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखने से संकटों का समाधान होता है।
गंगा का जल किसी अन्य जल में डालने से वह जल भी शुद्ध हो जाता है, क्योंकि बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु पानी को शुद्ध कर देते हैं।
गंगा के पानी में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। ऑक्सीजन की कमी लगे तो इसके पानी को पी लें।
गंगा के पानी में गंधक भी है। इसलिए इसमें कभी कीड़े नहीं पड़ते। इसे पीने से हैजा और पेचिश जैसे कई रोक नष्ट हो जाते हैं।
श्री गंगा दशहरा की शुभकामनाएं
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