विक्रमादित्य युग से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक, कैसे बदली रामलला की मूर्ति?

अयोध्या कई बार उजड़ी और बसी है लेकिन 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, आइए जानते हैं अयोध्या की मूर्तियों का वायरल हो रहा इतिहास....

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कहते हैं कि अयोध्या का पुनर्निमाण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था।

उस समय उन्होंने भव्य राम मंदिर का निर्माण किया और पहली बार रामलला की स्थापना की थी।

500 साल पहले मुगल बादशाह बाबर ने इस मंदिर को तोड़ दिया था उस समय मूर्ति को सरयू में छिपा दिया गया था।

इसके बाद ओरछा की महारानी गनेश कुंवर किसी तरह इस मूर्ति को अयोध्या से लाकर अपने यहां स्थापित कर दिया।

ये मूर्ति आज भी ओरछा के मंदिर में विराजमान है और वहां राम, राजा के रूप में पूजे जाते हैं।

रामलला की दूसरी मूर्ति का इतिहास साल 1949 से शुरू होता है।

रात को विवादित ढांचे में रामलला की प्रतिमा मिली और राम भक्तों के अनुसार रामलला स्वयं वहां प्रकट हुए थे।

विवाद बढ़ने के बाद जिला जज ने विवादित ढांचे पर ताला लगवा दिया।

यह दूसरी मूर्ति 6 दिसंबर 1992 तक यहां स्थापित रही। विवादित ढांचे के विध्वंस के दौरान रामलला की मूर्ति गायब हो गई।

ढांचे के ध्वंस के समय पुन: मूर्ति स्थापित करना थी तो तीसरी मूर्ति विमलेंद्र मिश्र के घर से लाकर अस्थाई मंदिर में रखी थी। हालांकि कुछ के अनुसार गायब हुई मूर्ति मिल गई थी।

अब प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में स्थापित करने के लिए 3 मूर्तियों का निर्माण किया गया जिसमें से एक मूर्ति को स्थापित किया जाएगा।

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