खुले बाल रखने वाली महिलाओं के साथ क्या ऐसा होता है?

क्या मान्यताएं हैं खुले बाल न रखने के पीछे? कब कटवा सकती हैं महिलाएं बाल, जानें-

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1. खुले बाल अमंगल का प्रतीक :

कैकयी के खुले बाल से अयोध्या और द्रौपदी के खुले बाल से हस्तिनापुर का अमंगल हो गया था।

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2. मन पर पड़ता प्रभाव :

कहते हैं कि खुले बाल रखने से सोच-आचरण स्वछंद होने लगते हैं। यही नियम लंबे बाल रखने वाले पुरुषों पर भी लागू होता है।

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3. तंत्र क्रिया :

ऐसी मान्यता प्रचलित हैं कि बालों के द्वारा बहुत-सी तंत्र क्रियाएं होती हैं। इसलिए महिलाओं को बालों को अच्छे से बांधकर रखना चाहिए।

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4. प्रेतबाधा का डर :

मान्यता है कि कोई महिला खुले बाल करके नदी, निर्जन या अशुद्ध स्थान से गुजरती है तो अनजान शक्ति के वश में आने का डर रहता है।

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5. तीर्थ में मुण्‍डन :

महिलाएं बालाजी जैसे स्थान पर किसी मन्नत या संकल्प आदि के चलते केश मुंडन करवा सकती हैं।

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6. विधवा होने पर :

कुछ समाजों में महिलाएं जब विधवा हो जाती हैं तब उनका केश मुंडन करवाया जाता है। यह अत्यंत गलत प्रथा है।

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7. संन्यास ग्रहण पर :

महिलाएं जब संन्यास ग्रहण करती हैं तब उनका केश मुंडन कराया जाता है।

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8. किसी रोग में :

किसी प्रकार का कोई रोग हो या बीमारी हो तो चिकित्सक की सलाह पर भी केश मुंडन कराया जाता है।

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Disclaimer

यह जानकारी प्रचलित मान्यताओं पर आधारित है। वेबदुनिया इसका समर्थन नहीं करता है।

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