छठ पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा होती है। छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई, इस संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं

Social Media

श्रीराम ने रावण वध यानी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए मुग्दल ऋषि से राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया।

Social Media

मुग्दल ऋषि ने माता सीता को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया।

Social Media

माता सीता ने छह दिनों तक सूर्यदेव की पूजा की थी। षष्ठी को सूर्य उपासने के बाद सप्तमी को व्रत का पारण कर सूर्योदय को अर्घ्य दिया।

Social Media

एक अन्य मान्यता अनुसार जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था।

Social Media

द्रौपदी के व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को सबकुछ पुन: वापस मिल गया था।

Social Media

एक अन्य कथा अनुसार राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया।

Social Media

महारानी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। खीर के प्रभाव से एक पुत्र को जन्म दिया परंतु वह शिशु मृत पैदा हुआ।

Social Media

प्रियव्रत पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त षष्ठी देवी प्रकट हुई।

Social Media

देवी ने कहा, राजन तुम मेरा पूजन करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

Social Media

यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। तभी से छठ पूजा का प्रचलन प्रारंभ हुआ।

Social Media

छठ पूजा का प्रसाद मांगकर क्यों खाते हैं?

Follow Us on :-