छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सबसे बड़ी नदी महानदी के बारे में 10 रोचक जानकारी।
महानदी का प्राचीन नाम चित्रोत्पला था। इसके अलावा इसे मंद वाहिनी, महानंदा, नीलोत्पला, छत्तीसगढ़ की गंगा और उड़ीसा का शोक भी कहते हैं। महर्षि श्रृंगी के शिष्य महानंद के नाम पर इस नदी को महानदी नाम दिया था।
महानदी का उद्गम रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत से हुआ है।
नदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की ओर है। छत्तीसगढ़ के पूर्वी हिस्से से होकर पूर्व दिशा में मुड़कर उड़ीसा में प्रवेश कर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
ऐतिहासिक नगरी आरंग और उसके बाद सिरपुर में वह विकसित होकर शिवरीनारायण में अपने नाम के अनुरूप महानदी बन जाती है।
पैरी, सोंढुर, ओंग, पैरी, जोंक, तेलेन, शिवनाथ, हसदो, बोरई, मांड, ईब, पैरी, ब्राह्मणी, शंख, छोटी आदि महानदी की सहायक नदियां हैं। महानदी और उसकी सहायक नदियों और ब्राह्मणी के संगम से भारत का सबसे बड़ा डेल्टा बनाता है।
महानदी की कुल लंबाई 864 किमी है। 286 किलोमीटर छत्तीसगढ़ में और 578 किलोमीटर उड़ीसा राज्य में इसकी प्रवाह लंबाई है।
उड़ीसा के संबलपुर जिले में, महानदी एक मानव निर्मित झील बनाती है जिसकी लंबाई 35 किमी है।
महानदी को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। इसी नदी के तट पर राजिम कुंभ मेले का आयोजन होता है।
महानदी के तट पर कई तीर्थ क्षेत्र हैं। कटक इसका मुख्य स्थान है। राजिम माता मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, गंधेश्वर मंदिर, ओडिशा में स्थित हुमा का झुका हुआ मंदिर खास है।
महानदी पर प्रमुख तीन बड़े बांध निर्मित है छत्तीसगढ़ में रुद्री और गंगरेल तथा उड़ीसा में हीराकुंड बांध है।