सूर्योदय से पूर्व उठकर साफ-सफाई के बाद घर को तोरण, मांडना या रंगोली आदि से सजाते हैं।
घर के द्वार पर गुड़ी ऊंचे स्थान पर स्थापित करते हैं और भगवा ध्वज को मकान के ऊपर फहराते हैं।
इस दिन पारंपरिक व्यंजन तैयार करते हैं। जैसे पूरन पोली, पुरी, श्रीखंड और पीले मीठे चावल।
इस दिन जुलूस का आयोजन होता है। लोग पीले परिधान पहनकर एक दूसरे से मिलकर नववर्ष की बधाई देते हैं।
इस दिन कड़वे नीम का सेवन आरोग्य के लिए अच्छा माना जाता है।
इस दिन श्रीहनुमान, श्रीदुर्गा, श्रीराम, श्रीविष्णु, श्रीलक्ष्मी और सूर्य पूजा की जाती है।
इस दिन नए संकल्प, प्याऊ लगाना, गायों को भोजन कराना, बहीखाते बदलना आदि शुभ कार्य करते हैं।
इस दिन से दो दिन के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ या राम विजय प्रकरण पाठ की शुरुआत की जाती है।
इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से पंचांग का वार्षिक भविष्यफल सुना जाता है।
इस दिन से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो जाती है तो घरों में कल के साथ घटस्थापना की जाती है।