भाई दूज का पर्व रक्षा बंधन के पर्व से थोड़ा अलग है। आओ जानते हैं कि इस दिन क्या करते हैं-
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इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें।
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फिर चावल के आटे से चौक तैयार करने के बाद इस चौक पर भाई को बैठाएं और उनके हाथों की पूजा करें।
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फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर हाथों पर पानी छोड़ें। फिर कलवा बांधें।
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इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं। भोजन के बाद पान खिलाएं।
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इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी भेंट करते हैं।
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अंत में संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें।
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इस दिन बहनें उड़ती हुई चील देखकर भाईयों की लंबी आयु के लिए जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण होती है और साथ ही वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।
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इसके साथ ही इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में स्नान कर इसके तट पर यम-यमुना का पूजन करते हैं जिससे अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है।