भगवान महावीर स्वामी की 10 खास बातें
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के बारे में जानिए 10 खास बातें
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के संस्थापक नहीं प्रतिपादक थे।
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मान्यता के अनुसार महावीरजी का जन्म चैत्र माह की शुक्ल त्रयोदशी को 27 मार्च 598 ई.पू. हुआ था।
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वैशाली गणतंत्र के कुंडलपुर के राजा सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के यहां उनका जन्म हुआ था। जन्म क्षेत्र को कल्याणक कहते हैं।
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महावीरजी ने 72 वर्ष की अवस्था में ईसा पूर्व 527 में पावापुरी में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण प्राप्त किया था।
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महावीर जी के निर्वाण दिवस पर घर-घर दीपक जलाकर दीपावली मनाई जाती है।
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महावीरजी अपने माता पिता की तीसरी संतान थे। उनका जन्मनाम वर्धमान था।
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वर्धमान के बड़े भाई का नाम था नंदीवर्धन व बहन का नाम था सुदर्शना।
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महावीरजी के 34 भव अर्थात जन्मों की कथा का वर्णन मिलता है।
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महावीरजी ने कैवल्य ज्ञान हेतु धर्म के मूल पांच व्रत बताए हैं- अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।
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महावीर जी ने अपने उपदेश खासकर प्राकृत भाषा में दिए हैं जबकि वे अर्धमगधी और पाली का उपयोग भी करते थे।
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