भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कहानी
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की जन्म संबंधी कथा भी सुनते-सुनाते हैं, जो इस प्रकार है-
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1. मथुरा के राजा उग्रसेन को उनके आततायी पुत्र कंस ने उन्हें गद्दी से उतार दिया और स्वयं राजा बन बैठा।
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2. कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था।
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3. कंस देवकी को ससुराल छोड़ने जा रहा था, तो रास्ते में आकाशवाणी हुई- 'देवकी का आठवां पुत्र तेरा वध करेगा।'
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4. आकाशवाणी सुन कंस वसुदेव को मारने लगा। तब देवकी ने कहा- 'मेरी जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हें सौंप दूंगी। कंस ने बात मान ली।
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5. फिर एक दिन नारद मुनि ने कंस से कहा, तुझे कैसे पता चलेगा कि तेरे सामने जो पुत्र लाया गया है वह आठवां ही है?
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6. नारद मुनि की यह बात सुन कंस ने वसुदेव-देवकी को कारागार में डाल दिया और तब देवकी के 7 पुत्रों को कंस ने मार डाला।
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7. फिर विष्णुजी ने योगमाया के साथ आठवें बच्चे की रक्षा की माया रची और उसी रात यशोदा के यहां कन्या का जन्म भी हुआ।
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8. फिर विष्णुजी ने प्रकट होकर कहा कि तुम मुझे यशोदा के यहां छोड़ आओ और यशोदा की कन्या को कंस के हवाले कर दो।
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9. विष्णुजी की आज्ञा से वसुदेव शिशुरूप कृष्ण को सूप में रखकर निकल पड़े और यमुना पार करके नंदजी के यहां पहुंचे।
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10. नंदजी के यहां उन्होंने शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर पुन: कारागार में आ गए।
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11. कंस ने देवकी के हाथ से कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटका, परंतु वह आकाश में उड़ गई और कहा- 'अरे मूर्ख, तुझे मारने वाला तो कभी का जन्म ले चुका है।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
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