कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की खास बातें

मां काली के चार रूप है- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। कोलकाता में दक्षिणा काली का प्रसिद्ध मंदिर है। photo courtesy-गिरीश श्रीवास्तव।

गिरीश श्रीवास्तव

पश्चिम बंगाल कोलकाता के कालीघाट में सती माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। कुछ मानते हैं कि दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थी।

दक्षिणेश्वर काली मन्दिर उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित है।

इसे दक्षिणेश्वर काली कहते हैं। इस मंदिर की मुख्य देवी भवतारिणी है। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं।

यह रामकृष्ण परमहंस की आराध्या देवी मां कालिका का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है।

1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने मंदिर का निर्माण करवाया था। 25 एकड़ में फैले मंदिर का निर्माण 1855 पूरा हुआ था।

प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं और माता से अपनी मनोकामना मांगते हैं।

कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास स्थित इस पूरे क्षेत्र को कालीघाट कहते हैं।

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