राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है परमधाम खाटू श्याम, जानिए बाबा के 10 रहस्य-
webdunia
भीम के पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे। यही खाटू श्यामजी हैं। इनकी माता का नाम हिडिम्बा है।
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बर्बरीक के लिए तीन बाण ही कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे।
श्री कृष्ण बर्बरीक की शक्ति की परीक्षा लेने गए तो बर्बरीक ने अपने एक ही तीर से वृक्ष के सारे पत्तों में छेद कर दिया था।
बर्बरीक की शक्ति से चिंतित होकर श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश धारण कर उनसे दान में उनका शीश मांग लिया था।
बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को शीश दान कर दिया गया।
शीश दान से पहले बर्बरीक ने युद्ध देखने की इच्छा जताई तब श्रीकृष्ण ने उनके शीश को एक ऊंचे स्थान पर स्थापित करके उन्हें दृष्टि प्रदान की।
युद्ध के बाद पांडव श्रेय के लिए विवाद कर रहे थे तब श्रीकृष्ण ने कहा कि इसका निर्णय बर्बरीक करेगा। बर्बरीक ने कहा कि दोनों ओर श्रीकृष्ण का ही सुदर्शन चल रहा था।
बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वरदान दिया।
खाटू श्याम अर्थात मां सैव्यम पराजित:। अर्थात जो हारे हुए और निराश लोगों को संबल प्रदान करता है।
फुलोरिया दूज से लक्खी मेला शुरू होता है। खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव देवउठनी एकादशी को मनाया जाता है।